दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में 12 साल बित जाने के बाद भी 26 किमी लंबे और 105 मीटर चौड़े एक्सप्रेसवे के निर्माण का काम आज भी अधूरा है। ये एक्सप्रेसवे ग्रेटर नोएडा से हापुड़ को जोड़ेगा। निर्माण से लाखों लोगों को लाभ मिलेगा।
ग्रेनो प्राधिकरण की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में शामिल 26 किमी लंबे और 105 मीटर चौड़े एक्सप्रेसवे पर 12 साल पहले 1,200 करोड़ रुपये खर्च करके भी जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिल सका है। एक्सप्रेसवे पूरा होने से 50 से अधिक गांवों के एक लाख से अधिक लोगों को फायदा मिलेगा, साथ ही परी चौक से लेकर हापुड़ तक सफर कम समय में पूरा होगा। 12 साल में जमीन खरीदने के बाद प्राधिकरण इस परियोजना को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाया है। इसके अलावा बोड़ाकी में बनने वाला फ्लाईओवर का काम भी काफी समय से रुका है।
परी चौक से अल्फा, डेल्टा सेक्टर और गोल्फ कोर्स के सामने से 105 मीटर चौड़ा यह एक्सप्रेसवे जा रहा है। ग्रेनो प्राधिकरण ने एक्सप्रेसवे को साल 2011-12 में हापुड़ से जोड़ने के लिए 12 से अधिक गांवों को शामिल करते करीब 26 किमी लंबा मार्ग बनाने की योजना बनाई थी। हापुड़ और एनएच-24 से गढ़, ब्रजघाट, गजरौला व मुरादाबाद के लिए रास्ता सुगम होना था। इसके तहत जुनपत, बोड़ाकी, बील, अकबरपुर, आनंदपुर, उपरालसी और जारचा समेत 12 से अधिक गांवों के किसानों से सीधे जमीन खरीदी गई। इस पर 1200 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
साल-2015 तक हापुड़ तक करना था एक्सप्रेसवे का निर्माण
ग्रेनो प्राधिकरण 105 मीटर चौड़े एक्सप्रेसवे को बनाने का लक्ष्य दिसंबर 2015 तक रखा गया था। इससे हापुड़ और एनएच-24 से गढ़, ब्रजघाट, गजरौला और मुरादाबाद शहरों के लिए आवागमन सुगम हो जाता। इस एक्सप्रेसवे के दोनों ओर स्कूल, अस्पताल, औद्योगिक सेक्टर और आवासीय सेक्टर बसाए जाने हैं। इस पर दोनों तरफ रेजिडेंशियल स्कीम और इंडस्ट्री के सेक्टर बसाए जाएंगे।
असंल बिल्डर को बनानी है सड़क
ग्रेनो प्राधिकरण ने एक्सप्रेसवे को हापुड़ तक जोड़ने के लिए योजना बनाई थी, लेकिन अंसल के साथ करार किया था कि रेलवे पर फ्लाईओवर बनाने के बाद अपने क्षेत्र में जीटी रोड तक बिल्डर को सड़क बनाना होगा। अंसल बिल्डर ने भी उक्त जमीन को किसानों से खरीद रखा है। काफी हद तक जमीन अंसल के कब्जे में भी है, लेकिन सड़क का आज तक निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।