न खाना न घर, हालात ठीक नहीं, पाकिस्‍तान में तबाही के निशान

पाकिस्‍तान में आई भीषण बाढ़ के बाद कुप्रबंधन व अमानवीयता को देखकर बेहद दुख होता है। लाखों लोगों के बाद दो वक्‍त का खाना नहीं है और करोड़ों लोग बेघर हो गए हैं। ऐसे में प्रशासन ने हाथ खड़े कर लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

 भूख से बिलखते बच्‍चे, खुले आसमान के नीचे सोने का मजबूर महिलाएं, मदद का इंतजार करते हजारों लोग…! पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत में बाढ़ के बाद तबाही के कुछ ऐसे ही निशान देखने को मिल रहे हैं। नदियां तो अब अपनी हद में लौट गई हैं, लेकिन लगभग पूरा सिंध प्रांत अब भी पानी में डूबा हुआ है। प्रशासन लगातार रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन कर रहा है। सभी लोगों तक खाना और पानी पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ये सभी कोशिशें नाकाफी नजर आ रही हैं। ऐसे में पाकिस्‍तान सरकार भी हाथ खड़े कर चुकी है। जानकारों की मानें तो पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत में हालात अभी और खराब होंगे।

पाकिस्‍तान का मौजूदा संकट त्रिस्तरीय बाधा

पाकिस्‍तान में बाढ़ के बाद बिगड़े हालात के लिए विशेषज्ञ प्रशासन को जिम्‍मेदार ठहराते हैं, वे बाढ़, आर्थिक संकट व राजनीतिक खींचतान के लिए पाकिस्तान के कुप्रबंधन व अमानवीयता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। राजनीतिक अर्थशास्त्री नियाज मुर्तजा मौजूदा संकट को त्रिस्तरीय बाधा बताते हैं। इनमें आर्थिक, राजनीतिक व प्राकृतिक बाधाएं शामिल हैं। वह कहते हैं, ‘गरीब पहले ही दो महीनों से महंगाई, नौकरी छूटने व राजनीतिक अपंगता से परेशान थे और अब बाढ़ ने उन्हें गर्त में धकेल दिया है। दुर्भाग्य तो यह है कि इन स्थितियों से निपटने के बजाय राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं अथवा बाढ़ के लिए भारत को जिम्मेदार साबित करने पर तुले हैं।’

1,300 से ज्यादा लोगों को जान जा चुकी

पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत में बाढ़ का पानी निकलने में कई महीनों का समय लग सकता है। ऐसे में वहां डेंगू और मलेरियां जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया है। इस पूरे क्षेत्र को आसमानी आफत ने तबाह कर दिया है। यहां हजारों लोग बेघर हो गए हैं। पाकिस्तान इस समय भीषण बाढ़ से त्रस्त है। 22 करोड़ लोग प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रभावित हैं। 1,300 से ज्यादा लोगों को जान जा चुकी है। 160 में से 81 जिलों में बाढ़ के कारण 3.3 करोड़ लोग बेघर हो चुके हैं।

जल्‍द हालात ठीक होने की उम्‍मीद भी नहीं

सिंध प्रांत को फिर से खड़ा होने में काफी समय लगेगा। यहां बाढ़ ने हजारों घरों, कई गांव और मस्जिदों और मदरसों को तबाह कर दिया है। फसल बर्बाद हो गई है और जब तक पानी नहीं निकलेगा, तब तक दूसरी फसल भी नहीं हो सकती। जानकारों की मानें तो सिंध प्रांत में कई क्षेत्र ऐसे में हैं, जहां सक पानी निकलने में 2-3 महीने का भी समय लग सकता है। ऐसे में भुखमरी बढ़ेगी, पानी ठहरने से बीमारियां बढ़ेंगी और इस स्थिति से निपटने के लिए आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्‍तान के पास कोई जरिया नहीं है।

क्‍यों हजारों लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है?

पाकिस्‍तान में बाढ़ पीडि़त ऐसे कई गांव हैं, जहां सबकुछ तबाह हो चुका है। इन गांवों के लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। बच्‍चों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ लोगों ने घर के कपड़ों से टैंट बनाए हैं। एक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि प्राकृतिक आपदा से निपटने में पाकिस्‍तान इतना असहाय कैसे नजर आ रहा है? आखिर, क्‍यों हजारों लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है?

राहत सामग्री में भी भ्रष्‍टाचार

पाकिस्‍तान में भ्रष्‍टाचार की सीमा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ लोग बाढ़ पीडि़तों की राहत सामग्री भी लूटने में लगे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच पाकिस्तान ने बाढ़ राहत व सामग्री वितरण कार्य को पारदर्शी बनाने के लिए उसके डिजिटाइजेशन का काम शुरू कर दिया है। जियो न्यूज के अनुसार, डिजिटल फ्लड डैशबोर्ड के जरिये विदेश से मिलने वाली मदद व उसके वितरण का ब्योरा आम लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। अब पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत को इस मुश्किल वक्‍त से जल्‍द बाहर निकलने की दुआ ही की जा सकती है।

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