पटना हाईकोर्ट ने सुशील मोदी से जुड़े मानहानि के केस में राहुल गांधी को पेश होने को कहा..

मोदी सरनेम मामले में सूरत की कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है। अब पटना हाईकोर्ट ने सुशील मोदी से जुड़े मानहानि के केस में राहुल गांधी को पेश होने को कहा है। हालांकि राहुल गांधी पेश होंगे या नहीं अभी स्पष्ट नहीं है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। सूरत कोर्ट से दो साल की सजा मिलने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई। अब फिर, मोदी सरनेम पर की गई टिप्पणी को लेकर पटना हाइकोर्ट ने राहुल गांधी को समन भेजा है।

सुशील मोदी से जुड़े मानहानि के केस में पटना हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को 12 अप्रैल को पेश होने को कहा है। हालांकि, पार्टी के नेताओं का कहना है कि राहुल आएंगे या नहीं, इस बारे में दिल्ली से अब तक कोई सूचना नहीं मिली है।

क्या है सुशील मोदी से जुड़ा मानहानि का मामला

भाजपा नेता सुशील मोदी ने 2019 में राहुल गांधी पर मानहानि का केस दर्ज करवाया था। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने मोदी को चोर कहकर पूरे मोदी समुदाय का अपमान किया है। इसी मामले में अब कोर्ट ने राहुल गांधी को पेश होने को कहा है।

‘इन सारे चोरों का नाम मोदी क्यों है’ राहुल के इस बयान पर भाजपा के नेता पूर्णेश मोदी ने उनपर मानहानि का केस दर्ज करवाया था। इसी मामले में 23 मार्च 2023 को गुजरात की सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया था। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई। इसके अलावा, कोर्ट ने राहुल पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

सजा मिलने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने के मामले में देश की राजनीति में घमासान मच गया है। यहां तक की विदेशों से भी प्रतिक्रिया आने लगी है।

जर्मनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द करने पर टिप्पणी की। जर्मनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम भारत में विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी के खिलाफ आए अदालत के फैसले और उनकी संसद सदस्यता रद्द होने के मामले पर नजर बनाए हुए हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार, राहुल गांधी फैसले के खिलाफ अपील करने की स्थिति में हैं। अपील के बाद स्पष्ट होगा कि कि फैसला कायम रहेगा या नहीं और उनकी संसद सदस्यता रद्द करने का कोई आधार है या नहीं। इससे पहले अमेरिका ने भी मामले पर नजर बनाए रखने की बात कही थी।

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