देश भर में पुणें अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है। चौड़ी सड़के, खूबसूरत वातावरण और सुहावना मौसम लोगों को खूब पसंद आता है। यहां पर स्थित शनिवार वाडा भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस फोर्ट का नाम शनिवार शब्द से आया है क्योंकि किले की औपचारिक नींव शनिवार के दिन रखी गई थी। इस जगह पर फिल्म बाजीराव मस्तानी की शूटिंग हुई थी। आज भले ही ये आलीशान फोर्ट पर्यटक स्थल बन गया है, लेकिन आज भी इस जगह को डरावना माना जाता है। इस फोर्ट से जुड़ी कई कहानियां हैं, यहां पढ़ें इस जगह से जुड़ी बातें।
क्या है शनिवार वाड़ा का इतिहास
भारत और पुणे के इतिहास में शनिवार वाड़ा काफी फेमस है। 625 एकड़ में बने इस फोर्ट को बाजीराव द्वारा बनवाया गया था। यहां पर वह और उनकी पत्नी काशीबाई रहती थीं। अब इसकी एंट्री पर ही बाजीराव का एक बड़ा सा स्टेचू लगा हुआ है। पेशवाओं के भारत के सर्वश्रेष्ठ घुड़सवार सेनापति ‘बाजी राव प्रथम’ हमेशा एक ऐसा निवास चाहते थे जो उनकी महत्वाकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करे और पेशवाओं के लिए एक ठोस रक्षा स्थल भी हो, इसलिए 30 जनवरी, 1730 शनिवार को किले के निर्माण की औपचारिक रस्म शुरू हुई थी।
क्यों इस जगह को कहा जाता है डरावना
शनिवार वाड़ा भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित पुणे में सबसे डरावनी जगहों में से एक है। पुणे में शनिवार वाड़ा किले की दीवारें एक छोटे लड़के, राजकुमार नारायणराव की दर्दनाक कहानी छिपाती हैं, जिसे सुमेर सिंह गार्डी ने मार डाला था। कहा जाता है कि हर अमावस्या की रात को यह किला भूतिया जगह बन जाता है। लोग अक्सर किले से ‘काका माला वाचवा’ (चाचा मुझे बचाओ) की आवाज सुनते हैं, जहां राजकुमार नारायणराव की आत्मा हर अमावस्या की रात उसे बचाने के लिए रोता है। नारायण राव बालाजी बाजी राव के सबसे छोटे पुत्र थे। बालाजी बाजी राव पेशवा बाजीराव के पुत्र थे।
किले में हैं 5 दरवाजे
दिल्ली दरवाजा – मुख्य प्रवेश द्वार।
खिडकी दरवाजा।
गणेश दरवाजा।
मस्तानी दरवाजा।