को पत्र लिख मुफ्त उपहारों और कल्याणवाद के बीच अंतर करते हुए सुझाव दिया है कि पार्टियों को लोगों की निर्भरता बढ़ाने के बजाय मतदाता सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण पर जोर देना चाहिए।
चुनाव आयोग द्वारा मुफ्त के वादों पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न पार्टियों से बीते दिनों सुझाव मांगे गए। कई पार्टियों द्वारा राय दिए जाने के बाद भाजपा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। भाजपा ने पत्र लिख मुफ्त उपहारों और कल्याणवाद के बीच अंतर करते हुए सुझाव दिया है कि पार्टियों को लोगों की निर्भरता बढ़ाने के बजाय मतदाता सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण पर जोर देना चाहिए। भाजपा ने इस महीने की शुरुआत में चुनाव आयोग के जवाब में इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया है। आयोग ने आदर्श आचार संहिता में संशोधन के प्रस्ताव पर सभी दलों के विचार मांगे थे।
लोगों को कौशल प्रदान करने पर दिया जाए जोर
भाजपा ने अपने जवाब में कहा कि मुफ्त उपहार मतदाताओं को लुभाने के लिए हैं जबकि कल्याणवाद समावेशी विकास के लिए एक नीतिगत हस्तक्षेप है। पार्टी ने कहा कि उसे चुनाव आयोग के इस विचार पर कोई आपत्ति नहीं है कि राजनीतिक दलों को अपने चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता भी प्रस्तुत करनी चाहिए। जवाब का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल पार्टी के एक नेता ने कहा कि भाजपा ने सुझाव दिया है कि मतदाताओं को सशक्त बनाने, उनकी क्षमता बढ़ाने, देश की मानव पूंजी जुटाने के लिए उन्हें कौशल प्रदान करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
फ्री बिजली देने पर उठाए सवाल
भाजपा नेता ने कहा कि घर और मुफ्त राशन देना एक अलग चीज है लेकिन मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना अलग बात है। उन्होंने कहा कि आवास एक बुनियादी आवश्यकता है और घर उपलब्ध कराना एकमुश्त सहायता है। वहीं, कोविड संकट के दौरान मुफ्त राशन शुरू हुआ जब लोगों की नौकरी चली गई। भाजपा नेता ने कहा कि ये दोनो कल्याणकारी उपाय हैं और इन्हें मुफ्त बिजली के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है।
मुफ्तखोरी बनाम कल्याणकारी उपायों के बीच की बहस
बता दें कि चुनाव आयोग का यह कदम मुफ्तखोरी बनाम कल्याणकारी उपायों की बहस के बीच आया है। इस मुद्दे पर हाल ही में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया था। आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य दलों को लिखे पत्र में 19 अक्टूबर तक प्रस्तावों पर अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा था