भारतीय खिलौना उद्योग में तगड़ी मजबूती आई है। यूरोप जापान और अमेरिका के बच्चे भारतीय खिलौनों से खेल रहे हैं। भारत में बने खिलौनों का निर्यात बढ़ा है जबकि आयात में कमी आई है। जानें क्या कहते हैं आंकड़े…
- तीन साल में खिलौना आयात 70 प्रतिशत कम हुआ, निर्यात में 60 प्रतिशत की बंपर बढ़ोतरी
- सख्त गुणवत्ता नियंत्रण के नियमों ने किया कमाल, आयातित खिलौनों की सैंपल जांच को किया गया अनिवार्य
देश में विकसित हो रहे 32 टाय क्लस्टर
खिलौना उद्योग में आने वाले इतने बड़े बदलाव की वजह देश में विकसित हो रहे 32 टाय क्लस्टर हैं और इनमें से कइयों में यूनिट लग चुकी हैं और उत्पादन शुरू हो चुका है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए यह एक बड़ा कदम है।
कहां-कहां हो रहा निर्यात
अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, मध्य पूर्व, इंडोनेशिया, मंगोलिया, केन्या, न्यूजीलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया
विदेशी कंपनियों के लिए बना रहे खिलौने
ग्लोबल टाय ब्रांड हसब्रो, हैमलेज, स्पीन मास्टर, ड्रैगन, शिफू, हार्नबाइ, एमजीए, आइएमसी और गोल्डन बियर के लिए भारतीय कंपनियां खिलौना बनाने का काम कर रही हैं।
गुणवत्ता नियंत्रण, सरकारी प्रयास और खिलौना उद्यमियों के दिल में आत्मनिर्भर बनने की चाहत ने पूरे खिलौना उद्योग के परिदृश्य को बदल दिया है। सिर्फ तीन-चार साल पहले तक भारत में बिकने वाले 85 प्रतिशत खिलौने आयात किए जाते थे और अब अमेरिका, यूरोप, जापान, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया जैसे देशों के बच्चे भारतीय खिलौने से खेलते हैं। भारतीय खिलौना निर्माता ग्लोबल टाय ब्रांड के मूल निर्माता के रूप में काम कर रहे हैं।
आयात घटा, बढ़ गया निर्यात
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने 37.1 करोड़ डालर का खिलौना आयात किया था जो वित्त वर्ष 2021-22 में घटकर 11 करोड़ डालर रह गया। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने 20 करोड़ डालर का खिलौना निर्यात किया था जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 32.6 करोड़ डालर का हो गया।
कैसे घटा आयात
वर्ष 2019 में सरकार की तरफ से कराए गए सर्वे में पाया गया कि भारत के बाजार में उपलब्ध सिर्फ 33 प्रतिशत खिलौने ही बीआइएस के मानकों को पूरा करते हैं। दूसरे देशों से घटिया स्तर के और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक खिलौनों का आयात हो रहा था। वर्ष 2019 के दिसंबर में विदेश व्यापार महानिदेशालय ने आयातित खिलौनों की सैंपल जांच को अनिवार्य कर दिया और क्वालिटी जांच में पास होने पर ही उन्हें बाजार में बेचने की इजाजत का नियम बना दिया।
टाय गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के दिख रहे फायदे
वर्ष 2020 में टाय गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किया गया और बीआइएस मानकों के हिसाब से बिना टाय टेस्टिंग सुविधा के मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस पर रोक लगा दी गई। हालांकि कुटीर उद्योग व सूक्ष्म उद्यमियों को इससे बाहर रखा गया। इसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2022 में बीआइएस के एक सर्वे में सिर्फ 14 प्रतिशत सैंपल में कमी पाई गई
32 टाय क्लस्टर की तैयारी
एमएसएमई मंत्रालय की स्फूर्ति स्कीम के तहत 19 टाय क्लस्टर को मंजूरी दी गई है। इनमें मध्य प्रदेश में नौ, राजस्थान में तीन, उत्तर प्रदेश में दो, कर्नाटक में दो, आंध्र प्रदेश में दो, महाराष्ट्र में एक, तमिलनाडु में एक शामिल हैं। इन क्लस्टरों में 11,749 सूक्ष्म स्तर के खिलौना निर्माता काम कर रहे हैं। इसके अलावा टेक्सटाइल मंत्रालय की तरफ से वाराणसी, चन्नपाटना, कोंडापल्ली, जयपुर, किन्नल, अशारिकांडी, एटिकोपक्का, कोप्पल, तंजौर, बिष्णुपुर, कुड्डापा, निरामल व इंदौर में टाय क्लस्टर की पहचान की गई है।