
कार्यबल में सुधार के लिए काफी सहायक साबित हो रहा है। हरियाणा सरकार की यह पहल निसंदेह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस संकल्प को आत्मसात करती दिखाई दे रही है जो उन्होंने लाल किले से अपने संबोधन में कही है।
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह भ्रष्टाचार के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ने की घोषणा की है, उसमें शामिल होने के लिए हरियाणा की मनोहर सरकार पूरी तरह से तैयार है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले पौने आठ साल के अपने शासनकाल में भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था और सुशासन पर फोकस रखा है। उसी का नतीजा है कि राज्य की जांच एजेंसियों को काम करने के लिए न केवल राजनीतिक दबाव से मुक्त कर दिया गया है, बल्कि जरूरतमंद लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये सरकारी योजनाओं के लाभ दिए जा रहे हैं। इससे सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार कम हुआ है।प्रदेश के प्रत्येक सरकारी विभाग में आंतरिक जांच कमेटियों का गठन करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्य की सबसे बड़ी जांच एजेंसी स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को और ताकत दे दिया है। इससे उच्चतम स्तर की अफसरशाही में बेचैनी का माहौल है। केंद्रीय स्तर पर पांच प्रमुख एजेंसियां-सीबीआइ, ईडी, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और आइबी काम करती हैं। राज्य स्तर पर सिर्फ दो एजेंसियां काम करती हैं। पहली, स्टेट विजिलेंस ब्यूरो और दूसरी सीआइडी (अपराध जांच विभाग)। प्रदेश में जितने भी भ्रष्टाचार के मामले होते हैं, उनकी जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी जाती है। सीआइडी हरियाणा पुलिस की एक विंग है, जिसका काम ऐसी सूचनाएं एकत्र कर राज्य सरकार तक पहुंचाने का है, जिनके बारे में सरकार को जानकारी होनी बेहद जरूरी है। ये सूचनाएं राजनीतिक, व्यक्तिगत और भ्रष्टाचार से जुड़ी भी हो सकती हैं। कई बार विशेष मामलों में सरकार को एसआइटी (विशेष जांच दल) और एसटीएफ (विशेष कार्य बल) का गठन कर उनकी जांच करानी पड़ती है। मुख्यमंत्री कार्यालय में सीएम फ्लाइंग स्क्वाड अलग से काम करती है, लेकिन सही मायने में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की तह तक पहुंचने और भ्रष्ट सरकारी तंत्र को उजागर करने का काम स्टेट विजिलेंस ब्यूरो का है।राज्य में सीआइडी चीफ का काम आलोक कुमार मित्तल देख रहे हैं तो स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख शत्रुजीत कपूर हैं। प्रदेश में भ्रष्टाचार और अपराध से जुड़े तमाम ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनकी जांच सीबीआइ को सौंपना सरकार की मजबूरी हो जाती है। सीबीआइ पर भी पूरे देश के मामलों की जांच करने का दबाव रहता है। ऐसे में सीबीआइ सिर्फ चुनींदा मामलों को ही अपने हाथ में लेती है। इस समस्या से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने अपनी खुद की जांच एजेंसी स्टेट विजिलेंस ब्यूरो और सीआइडी को और ताकत दे दिया है। इसके तहत रिश्वत लेते पकड़े जाने पर आइएएस और आइपीएस सहित अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विजिलेंस ब्यूरो की टीम सीधे गिरफ्तार कर सकेगी। इसके लिए सरकार से किसी तरह की अलग से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। कुछ ऐसी ही ताकत सीआइडी को दी गई है, जो सरकारी विभागों के आंतरिक भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सीएम के नाक, कान और आंख का काम करती है।अधिकारियों को गिरफ्तार करने अथवा छापा मारने के दौरान राजपत्रित अधिकारियों की तैनाती अनिवार्य होती है। अभी तक सिर्फ ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में यह गिरफ्तारियां होती थीं, जिससे विजिलेंस ब्यूरो का काम नहीं चलता था। विजिलेंस ब्यूरो को पकड़े गए अधिकारी या कर्मचारी को सजा दिलाने के लिए मजबूत गवाह की जरूरत होती है। राजपत्रित अधिकारियों से मजबूत गवाह विजिलेंस ब्यूरो के लिए कोई दूसरा नहीं हो सकता। सीबीआइ ऐसे ही काम करती है। अब हरियाणा सरकार ने विजिलेंस ब्यूरो को कह दिया है कि वह किसी भी विभाग से राजपत्रित अधिकारी का चयन कर अपने साथ ले जा सकता है, जो गिरफ्तार किए जाने वाले अधिकारी अथवा भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों की जांच में गवाह का काम करेगा।हरियाणा में 2008 के नियम-कानून के मुताबिक विजिलेंस ब्यूरो जब कोई रेड मारेगा, तब उसके साथ ड्यूटी मजिस्ट्रेट होगा। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख शत्रुजीत कपूर ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सुझाव दिया कि उन्हें ड्यूटी मजिस्ट्रेट नहीं, बल्कि राजपत्रित अधिकारी के रूप में ऐसा गवाह चाहिए, जो पकड़े गए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को जेल तक पहुंचाने में मददगार साबित हो सके। मुख्यमंत्री ने इस सुझाव को मान लिया है। अब विजिलेंस ब्यूरो के अनुरोध पर अगर कोई अधिकारी साथ जाने से इन्कार करता है तो इसे कर्तव्य का उल्लंघन मानते हुए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी। जिस विभाग के भ्रष्टाचारी अधिकारी को पकड़ना होगा, उस विभाग के किसी राजपत्रित अधिकारी को रेड में साथ नहीं रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के कार्यबल और दक्षता में सुधार के लिए करीब साढ़े पांच सौ नए अधिकारी-कर्मचारी रखने की अनुमति प्रदान की है।