मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि उन्होंने इस यूनिट का गठन क्यों किया है?

भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उपराज्यपाल से इस मामले में सीबीआइ को तुरंत एफआइआर दर्ज करने की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि उन्होंने इस यूनिट का गठन क्यों किया है?

दिल्ली सरकार द्वारा फीडबैक यूनिट गठित करने पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है। उसने इसे विरोधी पार्टियों के नेताओं के दमन का तरीका बताया। भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उपराज्यपाल से इस मामले में सीबीआइ को तुरंत एफआइआर दर्ज करने की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि उन्होंने इस यूनिट का गठन क्यों किया है?

दिल्ली सरकार ने गठित की थी फीडबैक यूनिट

प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि नक्सल विचारधारा में विश्वास रखने वाली पार्टी की दिल्ली में सरकार है। यह अपने विरोधियों के दमन के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। फरवरी, 2016 में इसके लिए सरकार ने फीडबैक यूनिट गठित की। इस यूनिट का काम विरोधी पार्टियों के नेताओं, सांसदों केंद्रीय मंत्रियों, उपराज्यपाल कार्यालय, न्यायपालिका, अधिकारी और मीडिया संस्थानों की जासूसी करना है। इस यूनिट के गठन के लिए किसी तरह की प्रशासनिक व वित्तीय अनुमति नहीं ली गई। इसमें बिहार पुलिस के 17 लोगों और अन्य अधिकारियों को इसमें तैनात किया गया।

एक सेवानिवृत्त डीआइजी को इस यूनिट का मुखिया बनाया गया। इस यूनिट को एक करोड़ रुपये का स्थापना फंड दिया गया। यह पैसा कहां से आया इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। उस समय सतर्कता विभाग के अधिकारी अश्विनी कुमार ने आपत्ति जताई थी। सरकार के पास जब सतर्कता विभाग एवं भ्रष्टाचार निरोधक शाखा है तो इस यूनिट की स्थापना के औचित्य पर उन्होंने प्रश्न खड़ा किया था, जिसे सरकार ने नजरअंदाज कर दिया था।

सीबीआइ को सौंपी गई थी जांच

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अन्य फाइलों के साथ इस यूनिट की फाइल भी तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग के पास भेजनी पड़ी थी। उन्होंने इसे नामंजूर कर दिया था। बाद में सीबीआइ को जांच सौंपी गई थी। उन्होंने कहा कि संभव है कि पंजाब में भी इस तरह की यूनिट बनाई गई हो। इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि पंजाब सीमावर्ती राज्य है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से इस यूनिट की स्थापना के लिए प्रशासनिक अनुमति नहीं लेने के कारण व फंड के स्त्रोत बताने की मांग की। कहा कि उन्हें यह भी बताना चाहिए कि आखिर उन्हें दिल्ली व केंद्र के भाजपा नेताओं, बड़े उद्योगपतियों, न्यायपालिका, अधिकारियों व मीडिया संस्थानों की जासूसी क्यों करनी पड़ी?

पुराना मामला बताकर बचने की कोशिश कर रही दिल्ली सरकार

प्रदेश प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा कि दिल्ली सरकार इसे पुराना मामला बताकर बचने की कोशिश कर रही है। मामला पुराना हो या नया कार्रवाई होनी चाहिए। प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि मामला दिल्ली सरकार से जुड़ा है तो इसे लेकर राज्यसभा सदस्य संजय सिंह क्यों जवाब दे रहे हैं। आवश्यकता होने पर भाजपा इस मामले में अदालत जाएगी।

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