विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है जो बेहद चिंताजनक है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स लगातार एक्सरसाइज़ और सही डाइट पर ज़ोर देने की सलाह देते हैं।
शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना ख़तरे का संकेत होता है। हेल्दी सेल्स बनाने के लिए कोलेस्ट्रॉल की कुछ मात्रा की ज़रूरत होती है, लेकिन अगर यह स्तर कंट्रोल से बाहर हो जाए, तो सतर्क हो जाना सही है।
बेहद ख़तरनाक होता है हाई कोलेस्ट्रॉल
धमनियों में बैड कोलेस्ट्रॉल के जमाव के आपको लक्षण न नज़र आएं, लेकिन बेहद ख़तरनाक होता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के साथ, रक्त वाहिकाओं में वसा जमा हो सकती है, जिससे पर्याप्त रक्त को धमनियों से गुज़रने में मुश्किल हो सकती है। इसके अलावा, कभी-कभी, ये जमाव टूट सकते हैं और एक थक्का बना सकते हैं, जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है।
चेतावनी संकेत जिनके नज़रअंदाज़ न करें
मायो क्लीनिक के अनुसार, पेरीफेरल आर्टरी डिज़ीज़ (PAD) की वजह से आपके कूल्हों, जांघों या काफ मसल की मांसपेशियों में “दर्दनाक” ऐंठन पैदा हो सकती है। इसमें पैरों या हाथों, आमतौर पर पैरों में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं हो पाता। इसलिए कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर नज़र रखना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यह ऐथिरोस्क्लेरोसिस की अहम वजह होता है, जिससे PAD होता है।
ऐसा करेंगे तो बढ़ेगा दर्द
इस दौरान होने वाला दर्द और बढ़ सकता है अगर आप चलने या सीढ़ियां चढ़ने जैसी एक्टिविटीज़ करेंगे। यह स्थिति आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है और कई दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में बाधा पैदा कर सकती है।
दूसरे संकेत जो आपको इग्नोर नहीं करने चाहिए
माय क्लीनिक के अनुसार, कूल्हों, जांघों या काफ मसल की मांसपेशियों में दर्दनाक ऐंठन होने के अलावा, PAD के दूसरे लक्षण भी होते हैं:
पैर का सुन होना या कमज़ोरी
– पैरों या पंजों में कमज़ोर पल्स या पल्स न होना
– पैरों की त्वचा का चमकना
– पैरों की स्किन का रंग बदलना
– पैरों की उंगलियों के नाखूनों का धीमे बढ़ना
– पैरों की उंगलियों, पंजों या पैर में सूजन, जो ठीक न हो रही हो
– हाथों के इस्तेमाल के दौरान दर्द। जैसे लिखने, बुनने या दूसरे काम करते वक्त दर्द होना
– इरेक्टाइल डिसफंक्शन
पैरों के बालों का गिर जाना या फिर हल्की ग्रोथ
हाई कोलेस्ट्रॉल के जोखिम को कैसे कम करें?
कई ऐसी वजहें हैं, जिससे हाई कोलेस्ट्रॉल हो सकता है। खराब लाइफस्टाइल से लेकर दूसरी मेडिकल कंडिशन तक, ऐसी कई चीज़ें हैं, जो इसका कारण बन सकती हैं। इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव एक ज़रूरी चीज़ है।
सैचुरेटेड या ट्रांस फैट्स की जगह हरी सब्ज़ियां, हेल्दी और हाइड्रेट करने वाले फल, फाइबर से भरपूर अनाज का सेवन करें।
रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें, फिर चाहे आप रोज़ आधा घंटा ही वॉक क्यों न कर रहे हों।
स्मोकिंग छोड़ें और शराब का सेवन भी कम करें। साथ ही स्वस्थ वज़न बनाए रखें।