दुनिया में करोड़ों ऐसे लोग हैं जो डायबिटीज़ के साथ जी रहे हैं और कई ऐसे हैं जो डायबिटीज़ होने की दहलीज़ पर खड़े हैं। इनके अलावा लाखों लोग ऐसे भी हैं जो इस बात से अनजान हैं कि वे डायबिटीज़ से पीड़ित हैं।
नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, दुनियाभर में डायबिटीज़ के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, जिसमें से टाइप-2 डायबिटीज़ सबसे आम है। जिसके पीछे की वजह, खराब लाइफस्टाइल, मोटापा और खराब डाइट का चयन है। 2019 के डाटा के मुताबिक, भारत में करीब 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, जिनमें से 57 फीसदी मरीज़ों में इसका निदान तक नहीं हुआ है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2045 तक यह आंकड़ा 13.4 करोड़ तक पहुंच जाएगा।
डायबिटीज़ क्या है?
मेयो क्लीनिक के मुताबिक, डायबिटीज़ मेलिटस कुछ बीमारियों का समुह है, जो आपके शरीर के ब्लड शुगर को प्रोसेस करने के तरीके में ख़लल डालती हैं। ग्लूकोज़, जो कार्ब्स और चीनी से मिलता है, मानव शरीर बनाने वाली कोशिकाओं, ऊतकों, अंगों और अंग प्रणालियों के लिए ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। यह मस्तिष्क के लिए ईंधन का मुख्य स्रोत भी है। लेकिन जब शरीर इस ईंधन को ठीक से संसाधित करने की अपनी क्षमता खो देता है, तो यह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है, जिसका इलाज न कराया जाए, तो यह शरीर को अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचा सकता है, जैसे:
- डायबीटिक न्यरोपैथी
- डायबीटिक रेटीनोपैथी
- रक्त वाहिकाओं का क्षतिग्रस्त होना
- संक्रमण
- अंधापन
- हाइपरटेंशन
- अंग विच्छेदन
किसी भी तरह की डायबिटीज़ तब होती है, जब पैनक्रियाज़ इंसुलिन का उत्पादन करने में विफल हो जाते हैं- फिर चाहे ज़्यादा उत्पादन कर रहे हैं या कम, या फिर बिल्कुल नहीं। यह हार्मोन कोशिकाओं को ऊर्जा के रूप में रक्त से शर्करा को अवशोषित करने में मदद करता है। लेकिन जब इंसुलिन अप्रभावी रूप से काम करता है, तो इसे मधुमेह कहा जाता है। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ क्रॉनिक स्थितियां हैं, यानी इससे रिकवरी मुमकिन नहीं, जबकि जेस्टेशनल और प्री-डायबिटीज़ से ठीक हुआ जा सकता है।
डायबिटीज़ के मुख्य कारण क्या हैं?
एक्सपर्ट्स टाइप-1 डायबिटीज़ के कारणों के बारे में अनिश्चित हैं, उनका मानना है कि यह ऑटोइम्यून इफेक्ट का परिणाम हो सकता है। यानी जब इम्यून सिस्टम गलती से पैन्क्रीयाज़ में इंसुलिन बनाने वाली सेल्स को नष्ट कर देता है। वहीं, जेस्टेशनल डायबिटीज़ प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल फ्लकचुएशन की वजह से होती है। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान ज़रूरत से ज़्यादा वज़न बढ़ जाने की वजह से भी जेस्टेशनल डायबिटीज़ होती है।
जब बात आती है टाइप-2 डायबिटीज़, तो इसके पीछे का कारण सिर्फ चीनी का सेवन नहीं है।
- शरीर का वज़न ज़रूरत से ज़्यादा होना
- मोटापा
- रिफाइन्ड अनाज
- फाइबर और प्रोटीन का सेवन कम होना
- पेट के आसपास की चर्बी ज़्यादा होना
- आंत में वसा
- खराब लाइफस्टाइल
- जेस्टेशनल डायबिटीज़ को नज़रअंदाज़ करना या अच्छी तरह से मैनेज न करना
- कोल्ड ड्रिंक्स या मीठी ड्रिंक्स का सेवन