रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी का विवाद अब एक पड़ाव आगे जा चुका है, रविवार को लखनऊ में OBC महासभा के दौरान विरोध स्वरुप पवित्र ग्रंथ की प्रतियां जलाई गई थी। इस मामले को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों को नामजद किया गया है, साथ ही कुछ अज्ञात पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। बताते चलें कि स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा उतर आया है। विरोध स्वरुप रामचरितमानस की विवादित अंश की प्रतियों को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था।
इससे पहले रविवार को मौर्य जब मीडिया के सामने आए तो उन्होंने खुले शब्दों में कहा कि मैं अपने बयान पर कायम हूं। उन्होंने कहा कि अगर मेरे आह्वान पर सभी आदिवासी, दलित, पिछड़े, और महिलाएं मंदिर में आना बंद कर दें तो चढ़ावा बंद हो जाएगा, उनकी पेट पूजा बंद हो जाएगी। यहां उन्होंने यह भी साफ किया कि यह उनता निजी बयान है लेकिन ने इस विषय पर अपनी चुप्पी तोड़कर पार्टी का रुख साफ कर दिया है।
अखिलेश यादव ने रविवार को मैनपुरी में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कोई भी रामचरित मानस के विरोध में नहीं है और न ही कोई भगवान राम के विरोध में है। मैं सीएम योगी से अपील करता हूं कि वह एक बार वह चौपाई पढ़कर सुना दें। उन्होंने कहा कि चूंकि एक धार्मिक स्थान से आए हैं इसलिए मैं उनसे यह सवाल करता हूं। उन्होंने कहा कि कल मैं मंदिर गया तो RSS-BJP के गुंडे आ गए, हमें पता होता BJP गुंडे भेजने वाली है तो हम अपने कार्यकर्ताओं के साथ आते। उन्होंने कहा कि काला झंडा जब समाजवादी दिखाते हैं तो उन्हें 1 साल के लिए जेल भेजा जाता है।