रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों को अमेरिका में कोरोना के ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट मिले

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और चिल्ड्रन हॉस्पिटल एसोसिएशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सबसे शक्तिशाली और स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में आगे रहने वाले अमेरिका में फिलहाल 1.45 करोड़ से कहीं ज्यादा बच्चे कोविड-19 से संक्रमित हैं. इनमें से 343,000 से अधिक मामले पिछले चार हफ्तों में सामने आए हैं. 

अगस्त में 90 हजार से ज्यादा बच्चों को कोरोना हुआ

आपको बताते चलें कि अभी पिछले अगस्त महीने की बात करें तो देश में लगभग 90,600 बच्चों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. जिसके बाद एहतियाती अलर्ट जारी करते हुए अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध एएपी ने कहा कि नए रूपों से संबंधित बीमारी की गंभीरता के साथ-साथ संभावित लॉन्ग टर्म प्रभावों का आकलन करने के लिए ऐज-स्पेसिफिक डेटा एकत्र करने की आवश्यकता है.

लक्षण पहचानना जरूरी: AAP

AAP ने कहा, ‘यह पहचानना जरूरी है कि बच्चों के स्वास्थ्य पर महामारी के तत्काल प्रभाव हैं, लेकिन हमें बच्चों और युवाओं के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण पर लंबे समय तक चलने वाले प्रभावों की पहचान करने और उन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है.’

तेज वैक्सीनेशन प्रोग्राम के बावजूद बेकाबू हो रहे हालात

अमेरिकी हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक देश में बड़े पैमाने पर हुए कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम के बावजूद बच्चों में इतने बड़े पैमाने पर कोरोना का साया मंडराना चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि सभी बच्चों की समुचित देखभाल हो रही है. इसलिए फिलहाल किसी बड़ी चिंता की बात नहीं है.

अमेरिका में नए वेरिएंट ने दी दस्तक

ताजा रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों को अमेरिका में कोरोना के ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट मिले हैं. दावा किया जा रहा है कि पिछले हफ्ते BA.4.6 के नए वेरिएंट के चलते अमेरिका में 8 फीसदी नए केस आए हैं. लेकिन अच्छी इम्यूनिटी के चलते लोग इसे मात देने में कामयाब हो रहे हैं. हालांकि वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में नए केस बढ़ सकते हैं.

आखिर कब तक रहेगा कोरोना?

व्हाइट हाउस कोविड-19 के कोऑर्डिनेटर का कहना है कि कोरोना संभवतः जीवन भर हमारे साथ रहेगा. वहीं विशेषज्ञों को उम्मीद है कि किसी दिन कोरोना पर दुनिया के किसी छोटे से हिस्से में सीमित हो जाएगा. यानी बस कुछ ही क्षेत्रों में ही इसका प्रकोप देखने को मिलेगा. हालांकि वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि फिलहाल उन्हें नहीं लगता है कि यह बहुत जल्द ऐसा होने वाला है.

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