विवाह पंचमी के दिन भगवान श्री राम ने माता सीता से विवाह रचाया था। इस दिन भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा का विधान है। शास्त्रों में कुछ आसान उपाय बताए हैं जिन्हें इस दिन करने से भक्तों को सुख की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष मास को अत्यंत पवित्र मास माना गया है। इस मास में पड़ने वाले सभी व्रत त्योहारों का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस मास में पूजा-पाठ करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और उनके सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं। बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन विवाह पंचमी पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह पंचमी के दिन ही प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। प्रति वर्ष इस पर्व को उनके विवाह के वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 28 नवंबर 2022 के दिन धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके साथ आप यह भी जान लें कि शास्त्रों में विवाह पंचमी के सन्दर्भ में कुछ उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं-
विवाह पंचमी पर जरूर रखें व्रत
जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही है और वह समय-समय पर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें विवाह पंचमी के दिन व्रत का पालन करना चाहिए। साथ ही इस दिन उन्हें माता सीता और श्री राम की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि भगवान श्री राम के समक्ष अपनी मनोरथ कहने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और व्यक्ति को योग्य जीवन साथी मिलता है।
करें रामचरितमानस का पाठ
धार्मिक विद्वानों के अनुसार मार्गशीर्ष मास में ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस ग्रन्थ को पूर्ण किया था। इसके साथ इसी दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने बहुत लाभ मिलता है और इसे शुभ माना जाता है।
रामचरितमानस के इन चौपाइयों का जरूर करें पाठ
प्रमुदित मुनिन्ह भावँरीं फेरीं। नेगसहित सब रीति निबेरीं ।
राम सीय सिर सेंदुर देहीं। सोभा कहि न जाति बिधि केहीं ।।
पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियं हरषे तब सकल सुरेसा ।
बेदमन्त्र मुनिबर उच्च रहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं ।।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी ।
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा ।।