वृंदावन में बन रहा है देश का दूसरा भव्य इस्कॉन मंदिर, परियोजना का डिजाइन तैयार

वर्तमान मंदिर के स्वरूप को बदलने का काम शुरू हो गया है। दो लाख स्क्वायर फीट में इस मंदिर का विस्तारीकरण किया जा रहा है। मंदिर को मोर पंख के आकार में बनाया जा रहा है।

वृंदावन में देश का दूसरा सबसे बड़ा और भव्य इस्कॉन मंदिर बनने जा रहा है। वर्तमान मंदिर के स्वरूप को बदलने का काम शुरू हो गया है। दो लाख स्क्वायर फीट में इस मंदिर का विस्तारीकरण किया जा रहा है। मंदिर को मोर पंख के आकार में बनाया जा रहा है। नए संसद भवन का नक्शा तैयार करने वाली टीम में शामिल रहीं देश की बड़ी आर्किटेक्ट इंजीनियर स्वर्णा भल्ला ने इसका डिजाइन तैयार किया है। 100 करोड़ रुपये इसके निर्माण की लागत प्रस्तावित की गई है।

इस्कॉन मंदिर के पदाधिकारी सनक सनातन दास ने बताया कि बंगाल के मायापुर के बाद यह दूसरा सबसे भव्य वृंदावन का इस्कॉन मंदिर होगा। भक्तों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए आगामी 100 साल का प्लान तैयार कर इस मंदिर का विस्तारीकरण कराया जा रहा है। इसमें बेसमेंट के साथ ही एक ग्राउंड और उसके ऊपर दो माले का भवन तैयार किया जा रहा है। म्यूजियम का विस्तार किया जाएगा।

हालांकि वर्तमान में श्रीकृष्ण और राधारानी के श्रीविग्रह जिस स्थान पर हैं, वह उसी स्थान पर रहेंगे। नए भवन में कृष्ण और बलराम हॉल बेहद भव्य होंगे। इसके अलावा रेस्टोरेंट को भी नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा।

श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम को समर्पित है वर्तमान मंदिर
इस्कॉन मंदिर का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस है। यहां विदेशी भक्तों को गीता का पाठ कराने वाले महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि वृंदावन का इस्कॉन मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम को समर्पित है। यही कारण है कि इस मंदिर को कृष्ण-बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के अंदर की नक्काशी, पेंटिंग और चित्रकारी बहुत मनमोहक है।

स्वामी प्रभुपाद जी ने 20 अप्रैल 1975 को यह मंदिर बनवाकर भक्तों को समर्पित किया था। 1977 में उनकी मृत्यु हो गई, मंदिर परिसर में उनका स्मारक बनाया गया है। माना जाता है कि पांच हजार वर्ष पहले जिस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम अपनी गायों को चराने आते थे, खेला करते थे और गोपियों के साथ लीलाएं करते थे। उसी स्थान पर इस्कॉन मंदिर है।

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