आत्मा, शरीर और स्वास्थ्य के बीच सही संतुलन बनाकर बीमारियों से बचा जा सकता है। लेकिन ये संतुलन बनाने के क्या उपाय है। शरीर को निरोगी बनाने के लिए इन चक्रों को सक्रिय करना जरूरी होता है। चक्रों को सक्रिय करने के लिए योग और ध्यान की मदद ली जाती है। ये 7 चक्र शरीर के ऊपर से लेकर रीढ़ की हड्डी तक जाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे इन 7 चक्रों के बारे में। साथ ही आपको बताएंगे कि ये कहां स्थित होते हैं। ये भी जानेंगे कि इन चक्रों को योग की मदद से कैसे सक्रिय किया जा सकता है।
शरीर के 7 चक्र कौनसे हैं?
हमारे शरीर में 5 चक्र मौजूद होते हैं। इन चक्रों का सीधा कनेक्शन हमारी सेहत से है। चक्र हमारे शरीर में ऊर्जा के प्रवाह के प्रतिक हैं। ये भावनाओं को नियंत्रित करने का काम करते हैं। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इन चक्रों का सक्रिय होना जरूरी माना जाता है। अगर ये चक्र सक्रिय नहीं होंगे, तो शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
1. मूलाधार चक्र
मूल चक्र शरीर का पहला चक्र है। ये चक्र हमें जमीन से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करता है। इस चक्र से मन, शरीर और आत्मा का धरती से जुड़ाव महसूस होता है। ये चक्र रीढ़ के आधार में मौजूद होता है। इस चक्र की मदद से हड्डियां, दांत, नाखून, गुदा, प्रोस्टेट आदि के स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद मिलती है। इस चक्र के असंतुलन से थकान, खराब नींद, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, साइटिका, कब्ज, अवसाद, मोटापा और खाने के विकार हो सकते हैं। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए माउंटेन पोज, साइड-एंगल पोज, योद्धा मुद्रा, ब्रिज पोज की मदद ले सकते हैं।
2. स्वाधिष्ठान चक्र
इस चक्र का काम है भावनाओं को बयां करने के तरीके को बनाना। यौन इच्छाओं के संपर्क में आने के लिए भी ये चक्र जिम्मेदार माना जाता है। ये चक्र नाभि के ठीक नीचे पाया जाता है। इस चक्र से रिप्रोडक्टिव अंग, पेट, ऊपरी आंत, यकृत, पित्ताशय की थैली, गुर्दे, अग्न्याशय, अधिवृक्क ग्रंथियों, प्लीहा, मध्य रीढ़ और ऑटोइम्यून प्रणाली को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इस चक्र के एक्टिव न रहने से पीठ के निचले हिस्से में दर्द, कामेच्छा में कमी, मूत्र संबंधी समस्याएं, खराब पाचन, संक्रमण, हार्मोनल असंतुलन और मासिक धर्म संबंधी समस्याएं होती हैं। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए स्टैंडिंग वाइड फॉरवर्ड बेंड, वाइड एंगल पोज की मदद ले सकते हैं।
3. मणिपुर चक्र
मन या शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव इसी चक्र पर पड़ता है। ये चक्र ऊर्जा का केंद्र है। इसी चक्र से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। ये चक्र नाभि के पीछे यानी रीढ़ की हड्डी पर स्थित होता है। ये चक्र ऊपरी पेट, पित्ताशय की थैली, मध्य रीढ़, गुर्दे, छोटी आंतों और पेट के प्रभावी कामकाज को नियंत्रित करता है। इस चक्र के असंतुलन से मधुमेह, गठिया, पेट के रोग, पेट का अल्सर, आंतों के ट्यूमर, बुलिमिया और लो बीपी आदि हो सकता है। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए सूर्य नमस्कार, योद्धा पोज, बैकबेंड पोज और नौकासन आदि कर सकते हैं।
4. अनाहत चक्र
व्यक्ति की भावनाएं और साधना का एहसास इसी चक्र की मदद से होता है। ये चक्र हार्ट के बीच में रीढ़ की हड्डी पर स्थित होता है। ये चक्र हृदय, पसली, खून, संचार प्रणाली, फेफड़े और डायाफ्राम, स्तन, कंधे और हाथ आदि से संबंधित है। इस चक्र से असंतुलित होने से ऊपरी पीठ और कंधे की समस्याओं, अस्थमा, हृदय की बीमारी और फेफड़ों के रोग आदि हो सकते हैं। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए कैमल पोज कोबरा पोज और फिश पोज कर सकते हैं।
5. विशुद्ध चक्र
इस चक्र के बिगड़ने से थायराइड जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गले की आवाज या गले में संक्रमण जैसी समस्याएं भी इसी चक्र से जुड़ी हुई हैं। ये चक्र गले के ठीक पीछे होता है। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए ब्रिज पोज फिश पोज बालासन, नेक स्ट्रेच और हल मुद्रा आदि की मदद ले सकते हैं।
6. आज्ञा चक्र
इस चक्र के आधार पर शरीर के बाकि सभी चक्र आसानी से सक्रिय हो सकते हैं। इस चक्र को सक्रिय करने से मन शांत होता है और बंधनों से मुक्त होता है। यह चक्र दिमाग, कान, आंख, नाक, पिट्यूटरी ग्रंथि, पीनियल ग्रंथियों और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को नियंत्रित करता है। इस चक्र के असंतुलन से सिरदर्द, आंखों में खिंचाव, घबराहट, अवसाद, अंधापन, बहरापन, दौरे या रीढ़ की हड्डी में खराबी हो सकती है। ये चक्र भौहों के बीच स्थित होता है। इस चक्र को सक्रिय बनाने के लिए चाइल्ड पोज कर सकते हैं। इसके अलावा आंखों की कसरत जैसे आंखों को थपथपाना भी फायदेमंद होगा।
7. सहस्त्रार चक्र
इस चक्र को सक्रिय करने के लिए योग गुरू की मदद लेनी पड़ती है। इस चक्र को सक्रिय करना मुश्किल माना जाता है। इस चक्र पर जीत पा लेने से शरीर और आत्मा मुक्ति की स्थिति में आ जाते हैं। ये चक्र मस्तिष्क के सबसे ऊपरी हिस्से में होता है। ये चक्र सिर के केंद्र, दिमाग, कान, तंत्रिका तंत्र और पीनियल ग्रंथि के ऊपर मध्य रेखा को नियंत्रित करता है। इस चक्र से सक्रिय न रहने से शरीर में थकान महसूस हो सकती है। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए ट्री पोज की मदद ले सकते हैं।