संविधान दिवस के अवसर पर देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कॉलेजियम समेत कोई भी संस्था परिपूर्ण नहीं है और इसका समाधान मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना है। चंद्रचूड़ ने ये बात शनिवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में कहा। उन्होने कहा कि न्यायाधीश वफादार सैनिक होते हैं जो संविधान लागू करते हैं।
संविधान दिवस आज
जानकारी के लिए बता दें कि आज यानी 26 नवंबर 2022 को देश संविधान दिवस मना रहा है। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया था और इस दिन को वर्ष 2015 से पहले तक विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन 2015 से इसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जान लगा।;
CJI चंद्रचूड़ ने संविधान दिवस पर कहा
सीजेआइ डी. वाई. चंद्रचूड़ ने संविधान दिवस के अवसर पर कॉलेजियम मुद्दे को भी उठाया और कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था परिपूर्ण नहीं है, लेकिन हम संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर काम कर करते हैं। मेरे सहित कॉलेजियम के सभी न्यायाधीश, हम संविधान को लागू करने वाले वफादार सैनिक हैं। जब हम खामियों की बात करते हैं, तो हमारा समाधान है, मौजूद व्यवस्था के भीतर काम करना”। सीजेआइ ने कहा कि न्यायपालिका में अच्छे लोगों को लाने और उन्हें उच्च वेतन देने से कॉलेजियम में सुधार नहीं होगा।
जज बनना अंतरात्मा की पुकार-CJI
सीजेआइ ने कहा कि अच्छे वकीलों को न्यायपालिका में प्रवेश दिलाना केवल कॉलेजियम में सुधार करने का काम नहीं है। न्यायाधीश बनाना इससे जुड़ा नहीं है कि आप कितना वेतन न्यायाधीशों को देते हैं। आफ न्यायाधीशों को कितना भी अधिक वेतन दे दें, लेकिन ये एक सफल वकील की कमाई का एक अंश ही होगा। सीजेआइ ने कहा कि जज बनना अंतरात्मा की पुकार है।]
युवा वकीलों को न्यायाधीशों द्वारा मिले सलाह
सीजेआइ ने युवा वकीलों को लेकर कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि युवा वकीलों को न्यायाधीशों द्वारा सलाह दी जाये। चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे नागरिकों का भरोसा इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितने कुशल हैं, जिस तरह से हम अपने न्यायिक संस्थानों में अपने काम को व्यवस्थित करते हैं। बल्कि नागरिकों के लिए भी यह मायने रखता है कि उनके मामले की सुनवाई अदालत द्वारा की जाती है। सीजेआइ ने वकीलों के सख्त ड्रेस कोड पर भी पुनर्विचार करने की बात की। उन्होंने कहा कि “मैं ड्रेस को हमारे जीवन, मौसम और समय के अनुकूल बनाने पर विचार कर रहा हूं। ड्रेस पर सख्ती से महीला वकीलों की नैतिक पहरेदारी नहीं होनी चाहिए”।