भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार से सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। यह उनकी विदेश मंत्री के रूप में सऊदी अरब की उनकी पहली यात्रा होगी। जयशंकर अपने सऊदी अरब के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात करेंगे।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार से सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। यह विदेश मंत्री के रूप में सऊदी अरब की उनकी पहली यात्रा होगी। जयशंकर सऊदी अरब के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात करेंगे। वह अपने समकक्ष के साथ दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए चर्चा करेंगे। इस दौरान वह कई कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे।
समकक्ष से करेंगे मुलाकात
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘विदेश मंत्री डा एस जयशंकर 10-12 सितंबर को सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा करेंगे। भारत के विदेश मंत्री के रूप में यह सऊदी अरब की उनकी पहली यात्रा होगी।’ यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री अपने समकक्ष प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात करेंगे। वह उनके साथ साथ भारत-सऊदी अरब सामरिक भागीदारी परिषद के ढांचे के तहत स्थापित राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग समिति (PSSC) की मंत्रिस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। ।
PSSC समिति पर होगी चर्चा
विदेश मंत्रालय ने बताया, ‘दोनों मंत्री द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा करेंगे और PSSC समिति के चार संयुक्त कार्य समूहों के तहत प्रगति पर चर्चा करेंगे। इसमें राजनीतिक और कांउसलर, कानूनी और सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक और रक्षा सहयोग पर संयुक्त समिति शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि इन समूहों और सचिव स्तर की बैठक पिछले कुछ महीनों में हुई है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र, Group of Twenty (G20) और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) में अपने सहयोग सहित आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।’
देशों के संबंध मजबूत
इस दौरान एस जयशंकर सऊदी के कई शीर्ष अधिकारी के साथ-साथ Gulf Cooperation Council (GCC) के महासचिव डा नायफ फलाह मुबारक अल हजरफ के साथ मुलाकात करेंगे। दोनों पक्ष आपसी संबंधों की समीक्षा करेंगे और इसे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। विदेश मंत्री सऊदी अरब में भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिलेंगे। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच राजनीतिक, सुरक्षा, ऊर्जा, व्यपार, निवेश, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, संस्कृति और रक्षा सहित अन्य मुद्दों पर रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भी दोनों देशों का शीर्ष नेतृत्व एक-दूसरे के संपर्क में रहे।