महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद का मुद्दा थमता नजर नहीं आ रहा है। सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर अब संजय राउत ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस मामले को संसद के जरिए सुलझाने की मांग की है।
मुंबई, एजेंसी। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करते हैं, वहीं दूसरी तरफ वह महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे पर आंखें मूंद लेते हैं। जो एक अच्छे राजनेता का संकेत नहीं है।
सामना में उठाया कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद
शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम में संजय राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद मानवता के लिए संघर्ष है न कि दोनों राज्यों के लोगों और सरकारों के बीच की लड़ाई है। राउत ने कहा कि बेलगावी और आसपास के इलाकों में मराठी भाषी लोगों के संघर्ष के बावजूद राज्यों के पुनर्गठन के दौरान इसे कर्नाटक में उनकी इच्छाओं के खिलाफ शामिल किया गया था, जिसे निर्दयता से कुचला नहीं जा सकता है।Jagran
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने पूछा कि अगर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को हल नहीं कर सकता है, तो कहां से न्याय मांगा जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर आंखें मूंद लेते हैं। यह एक अच्छे राजनेता की निशानी नहीं है। यह अच्छा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को हल करने की दिशा में पहल की है, लेकिन सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार तटस्थ रुख अपनाएगी।
राउत बोले- संसद को सीमा विवाद का हल निकालना चाहिए
संजय राउत ने मांग की है कि संसद को सीमा विवाद का हल निकालना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को संसद को फिर से निर्देशित करने की अपेक्षा करने के बजाय यदि संसद जल्द से जल्द इसका समाधान ढूंढती है तो इससे क्या नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई को महाराष्ट्र के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के बजाय विवाद को सुलझाने के लिए बेलगावी में मराठी भाषी लोगों के संगठनों और नेताओं के साथ बातचीत करनी चाहिए थी
क्या है मामला
बता दें कि महाराष्ट्र लंबे समय से उत्तर कर्नाटक के बेलगावी और उसके आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों पर अपना दावा करता रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हाल ही में दावा किया था कि महाराष्ट्र के सांगली जिले के कुछ गांवों ने बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण दक्षिणी राज्य का हिस्सा बनने का प्रस्ताव पारित किया है।