सुप्रीम कोर्ट: जीवन और निजी आजादी के अधिकार के हनन पर सख्ती से निपटने की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को अपनी गिरफ्तारी का आधार जानने को मौलिक और वैधानिक अधिकार करार देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 20, 21 और 22 के तहत मिले जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार सबसे पवित्र मौलिक अधिकार हैं।

पीठ ने कहा, इनके अतिक्रमण के किसी भी प्रयास को इस न्यायालय ने कई निर्णयों में अस्वीकार कर दिया है। इनके उल्लंघन के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटना होगा। शीर्ष कोर्ट ने इसी आधार पर न्यूजक्लिक वेबसाइट के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का भी आदेश दिया।

यह है पंकज बंसल का मामला पंकज बंसल मामले में शीर्ष कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोपी को गिरफ्तारी के आधार की लिखित रूप में जानकारी देना प्रवर्तन निदेशालय के लिए अनिवार्य कर दिया था। बुधवार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इसका दायरा बढ़ा दिया। अब यूएपीए या किसी अन्य अपराध के लिए भी गिरफ्तारी के आधार की लिखित जानकारी देना अनिवार्य होगा।

क्यों खास हैं ये अनुच्छेद
अनुच्छेद 22 (1) बिना आधार बताए व्यक्ति की गिरफ्तारी को गलत करार देता है, जबकि 22 (5) हिरासत के आधार बताना अनिवार्य बनाता है।

दरकिनार की गई कानून की प्रक्रिया…
आरोपी को 3 अक्तूबर, 2023 को गिरफ्तार किया गया था और उसे 4 अक्तूबर, 2023 को सुबह 6 बजे रिमांड जज के सामने पेश किया गया था। शीर्ष कोर्ट ने कहा, पूरी कवायद गुप्त तरीके से की गई थी और यह कानून की उचित प्रक्रिया को दरकिनार करने का जबरदस्त प्रयास था।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के 13 अक्तूबर, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया था। पुलिस ने पुरकायस्थ पर चीन में रहने वाले एक व्यक्ति से करीब 75 करोड़ रुपये लेने और इसके बदले भारत के खिलाफ प्रोपगंडा चलाने का आरोप लगाया है।

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