सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता के लापता बेटे के मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच को लेकर अधिकारियों को भी फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को मध्य प्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता के लापता बेटे के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्देश दिया है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने हाल ही में दिए आदेश में कहा कि मध्यप्रदेश सरकार मामले की जांच के लिए एसआइटी बनाए और मामले की जांच उसे सौंपे।
17 साल से लापता है शिकायतकर्ता का बेटा
दरअसल, याचिकाकर्ता का बेटा लगभग 17 साल से लापता है। याचिकाकर्ता अट्टू ने शिकायत के साथ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि उनके नाबालिग बेटे का पता नहीं चल रहा है। उसके बेटे के खिलाफ 18 जनवरी 2005 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी है चुनौती
याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी दायर की थी, जिसे मई 2020 में खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद उसने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
पुलिस महानिरीक्षक को सौंपी जिम्मेदारी
अदालत ने कहा कि हम राज्य सरकार को एसआईटी गठित करने का निर्देश देते हैं और इस अदालत के आदेश के अनुपालन में एसआईटी को आगे की जांच सौंपी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी द्वारा स्थिति रिपोर्ट इस अदालत को सौंपी जाए। राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
पीठ ने आगे कहा कि इस अदालत द्वारा जिस शिकायत का संज्ञान लिया गया है, उसके अनुसार याचिकाकर्ता का बेटा लगभग 17 साल से लापता है और अधिकारियों द्वारा जिस तरह से जांच की जा रही है, हम उसकी सराहना नहीं करते हैं।