नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक पर 1 करोड़ रुपये का आर्थिक जुर्माना लगाया है। एसबीआई पर यह जुर्माना उधारकर्ताओं की कंपनियों में उन कंपनियों की चुकता शेयर पूंजी की 30 फीसदी से अधिक रकम के शेयर रखने के लिए लगाया गया है।
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के उपखंड 2 में कहा गया है कि कोई भी बैंक किसी भी कंपनी में गिरवीदार, रेहनदार या पूर्ण स्वामी के तौर पर उस कंपनी की चुकता शेयर पूंजी के 30 फीसदी से अधिक रकम या फिर अपने स्वयं की चुकता शेयर पूंजी और भंडारों के 30 फीसदी से अधिक के शेयर नहीं रख सकता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘आरबीआई की तरफ से बैंक के 31 मार्च, 2018 और 31 मार्च, 2019 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में पर्यवेक्षी आकलन के लिए वैधानिक निरीक्षण किया गया था और इस सिलसिले में जोखिम आकलन रिपोर्टों, निरीक्षण रिपोर्ट और सभी संबंधित पत्राचार का परीक्षण करने पर अन्य बातों के साथ साथ अधिनियम की धारा 19 के उप खंड 2 का उल्लंघन पाया गया। इस उल्लंघन के तहत बैंक ने उधारकर्ता की कंपनियों में उन कंपनियों की चुकता शेयर पूंजी के तीस फीसदी से अधिक रकम गिरवीदार के तौर पर रखा था।’
रिजर्व बैंक ने बैंक को नोटिस जारी का पूछा था कि उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए और बैंक के जवाब पर विचार करने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अधिनियम के उल्लंघन की पुष्टि होती है और बैंक पर मौद्रिक जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
इतने महीनों में यह दूसरा उदाहरण है जब नियामक ने एसबीआई पर मौद्रिक जुर्माना लगाया है। पिछले महीने भी रिजर्व बैंक ने एसबीआई पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।