मध्‍य प्रदेश में एक बार फिर दलितों पर दबंगों के हमले का मामला सामने आया

मध्‍य प्रदेश के सतना में एक बार फिर दलितों पर दबंगों के हमले का मामला सामने आया है। आरोप है कि गांव के दबंग चंद्रप्रकाश उर्फ छोटू पटेल ने नवनिर्वाचित सरपंच ललिता बौध के साथ अपने साथियों के साथ मिलकर विवाद किया और मारपीट की।

 सतना जिला जातिवाद के लिए लगातार बदनाम होता जा रहा है। यहां एक बार फिर दलितों पर दबंगों के हमले का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं दबंगों ने ग्राम सभा के दौरान नवनिर्वाचित सरपंच ललिता बौध (Sarpanch Lalita Bodh) को भी लाठियों से पीटा। इस दौरान बीच-बचाव करने आए लोगों को लात-घूंसों से पीटा भी गया।

मामला मैहर के नादान देहात थाना क्षेत्र के ग्राम जरियारी का है, जहां शुक्रवार को शासन के निर्देश पर ग्राम सभा का आयोजन किया गया। आरोप है कि इसी दौरान गांव के दबंग चंद्रप्रकाश उर्फ छोटू पटेल ने नवनिर्वाचित सरपंच ललिता बौध के साथ अपने साथियों के साथ मिलकर विवाद किया और मारपीट की। बचाव में आए ग्राम सभा में अन्य लोग भी मौजूद थे और उनकी भी पिटाई की गई।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

नादान देहात थाना पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर चार लोगों को हिरासत में ले लिया है। पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने न तो अन्य आरोपियों के नाम प्राथमिकी में शामिल किए हैं और न ही उन्हें गिरफ्तार किया है।

वहीं, पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। सरपंच समेत गांव के दलितों की मांग है कि एफआईआर में नाम शामिल कर सभी लोगों को गिरफ्तार किया जाए।

पुलिस का स्पष्टीकरण

नादान देहात पुलिस का कहना है कि घटना के अनुसार सभी धाराएं लगाई गई हैं। घर में मारपीट, सरकारी काम में बाधा, गाली-गलौज और गाली-गलौज समेत एससी, एसटी एक्ट भी लगाया गया है। लेकिन इनमें सात साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान नहीं है, इसलिए कोर्ट के निर्देश के मुताबिक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका।

इसके बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए निवारक कार्रवाई करते हुए धारा 151 लगाई गई, ताकि आरोपी को गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जा सके।

इधर, जब आरोपियों को तहसीलदार कोर्ट में पेश किया गया तो रात के सात बज रहे थे। इस समय न तो उसे रात में जेल भेजा जा सकता था और न ही वह रात को थाने में रख सकता था। इस प्रकार इसे छोड़ दिया गया था।

जरियारी महिला सरपंच मामले में विवाद की जड़

मूल रूप से इस महिला को सरपंच साकेत बताया जा रहा है लेकिन उसने खुद को ओबीसी बताकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। दरअसल उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया है। उक्त नियमों के अनुसार यदि अनुसूचित जाति द्वारा बौद्ध धर्म अपना लिया जाता है तो उसे ओबीसी माना जाता है।

चुनाव के समय सरला साकेत ने ओबीसी के रूप में चुनाव लड़ा था। जरियारी पटेल यहां प्रमुख हैं और साकेत यहां तुलनात्मक रूप से कम हैं। फिर भी, सरला साकेत चुनाव जीत गईं। यही वजह रही विवाद की और ज्यादातर दबंगों ने महिला सरपंच की पिटाई कर अपना गुस्सा निकाला।

रैगांव विधायक कल्पना वर्मा भी आईं सामने

वहीं, रैगांव से कांग्रेस विधायक कल्पना वर्मा ने भी मामले के आरोपियों को थाने से रिहा किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यक्रम के दौरान दलित महिलाओं के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया वह न केवल निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का अपमान है, बल्कि महिला समाज का भी अपमान है।ऐसे लोगों को तुरंत सलाखों के पीछे होना चाहिए, लेकिन उन पर दया की जा रही है। कल्पना वर्मा ने चेतावनी दी कि अगर कल सुबह तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो उग्र महिला आंदोलन के लिए प्रशासन तैयार रहे।

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