शिवसेना सांसद संजय राउत को सोमवार को विशेष पीएमएलए अदालत से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत 5 सितंबर तक बढ़ा दी है। मालूम हो कि पात्रा चॉल भूमि घोटाला मामले में राउत को एक अगस्त को हिरासत में लिया गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राउत के घर पर नौ घंटे तक छापेमारी की और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों ने कहा कि छापेमारी के दौरान 11.5 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई।
संजय राउत को फिलहाल आर्थर रोड जेल में रखा गया है। यहीं पर एनसीपी के नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख भी बंद हैं। अदालत ने राउत को अनुमति दी है कि वे घर का खाना खा सकते हैं और दवाईयां भी ले सकते हैं। दरअसल, उन्होंने अदालत से कहा था कि वह दिल के मरीज हैं और उनके लिए बेड की व्यवस्था होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा था कि सीएमओ की ओर से जांच के बाद ही यह आदेश दिया जा सकता है।
राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताते हैं राउत
शिवसेना सांसद की बेल का ईडी ने विरोध किया है। अधिकारियों का कहना है कि अगर उन्हें बाहर निकलने का मौका मिला तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। वह सबूतों को मिटा सकते हैं और फिर उनकी रिकवरी कर पाना आसान नहीं होगा। हालांकि, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और संजय राउत इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं
शिवसेना में बगावत से बिगड़े हालात
गौरतलब है कि इसी साल जून में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और 39 विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी थी, जिससे राज्य की उद्धव ठाकरे नीत महाविकास आघाडी सरकार गिर गई। 30 जून को शिंदे को मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। शिंदे सरकार में गुलाबराव पाटिल के पास जलापूर्ति विभाग है। उद्धव नीत सरकार में भी राव के पास यही विभाग था