मालेगांव बम विस्फोट मामले में 23 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान एक और गवाह अपने बयान से पलट गया। इस मामले में अब तक 24 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं।ये घटना 29 सितंबर 2008 की रात को हुई थी।
मुंबई के मालेगांव बम विस्फोट मामले की सुनवाई के दौरान एक और गवाह मंगलवार को विशेष एनआइए कोर्ट के समक्ष मुकर गया। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक 23अगस्त को अदालत में पेश हुए गवाह ने बयान देने से इनकार कर दिया।
गवाही देने वाला शख्स आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी (Sudhakar Chaturvedi) का मकान मालिक था जिसके यहां 2006-07 में कुछ समय के लिए वह रहा था। इस मामले में वह 24वें गवाह है जो अपने बयान से मुकर गए।
2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में एक आरोपी को कथित रूप से गोला-बारूद बेचने वाला एक लाइसेंसी हथियार डीलर 29 जून, 2022 को सुनवाई के दौरान मुकर गया था। गवाह ने कथित तौर पर मामले के एक आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को गोला-बारूद बेचा था।
ज्ञात हो कि बंबई उच्च न्यायालय ) ने 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट मामले पर चिंता जातते हुए पिछले माह जुलाई में भी एनआइए की विशेष अदालत को सुनवाई की स्थिति से संबंधित इससे संबंधित रिपोर्ट हर पखवाड़े भेजने का आदेश दिया था।
जानिए क्या है मालेगांव ब्लास्ट केस
2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में एक आरोपी को कथित रूप से गोला-बारूद बेचने वाला एक लाइसेंसी हथियार डीलर 29 जून, 2022 को सुनवाई के दौरान मुकर गया था। गवाह ने कथित तौर पर मामले के एक आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को गोला-बारूद बेचा था।
ज्ञात हो कि बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट मामले पर चिंता जातते हुए पिछले माह जुलाई में भी एनआइए की विशेष अदालत को सुनवाई की स्थिति से संबंधित इससे संबंधित रिपोर्ट हर पखवाड़े भेजने का आदेश दिया था।
जानिए क्या है मालेगांव ब्लास्ट केस
ये घटना 29 सितंबर 2008 की रात की है जब मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने एक बाइक में विस्फोट हो गया था। विस्फोट से छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हो गए थे। जिस बाइक में धमाका हुआ था, वह प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर दर्ज है और इसी आधार पर उसे 2008 में गिरफ्तार किया गया था।बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2017 में प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दे दी थी। विस्फोट के अगले दिन मालेगांव के आजाद नगर थाना क्षेत्र में मामला दर्ज किया गया था। तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस ) को सौंप दी गई थी क्योंकि इसे आतंकवाद से जोड़ा गया था।