भारत में ही निर्मित विमानवाहक युद्धपोत आइएनएस विक्रांत को 2 सितंबर यानी शुक्रवार को नौसेना में शामिल किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के इस पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को देश को सौपेंगे। यह अब तक का भारत का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत है।
भारत में ही निर्मित विमानवाहक युद्धपोत आइएनएस विक्रांत को 2 सितंबर यानी शुक्रवार को नौसेना में शामिल किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के इस पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को देश को सौपेंगे। इसे मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है। यह अब तक का भारत का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत है।
पीएम नरेंद्र मोदी 1 और 2 सितंबर को कर्नाटक और केरल के दौरे पर रहेंगे। एक सितंबर को पीएम कोचीन एयरपोर्ट के पास श्री आदि शंकर जन्म भूमि क्षेत्रम का दौरा करेंगे। 2 सितंबर को वह देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत को नौसेना को सौंपेंगे।
भारतीय नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एस. एन. घोरमडे (Vice Admiral SN Ghormade ) ने बताया कि इसके उपकरणों का निर्माण देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हुआ है जिनमें अंबाला, दमन, कोलकाता, जालंधर, कोटा, पुणे और नई दिल्ली शामिल हैं।
बता दें कि भारत गुरुवार को अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस सहित देशों के चुनिंदा क्लब में शामिल हो गया, जिसमें 40,000 टन से अधिक के विमान वाहक का डिजाइन और निर्माण किया गया था।
भारतीय नौसेना के अनुसार, भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत (IAC) विक्रांत इस साल 2 सितंबर को शुरू होना है।
260 मीटर लंबाई और 60 मीटर चौड़ाई वाले जहाज को नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा डिजाइन किया गया है और इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में बनाया जा रहा है। बता दें कि इसका उत्पादन कार्य नवंबर 2006 में शुरू हुआ था।
बता दें कि INS विक्रांत के फ्लाइट डेक का क्षेत्रफल ढाई हॉकी मैदानों के बराबर है जो मोटे तौर पर 12,500 वर्ग मीटर में तब्दील होता है। स्की-जंप से सुसज्जित एक छोटा रनवे और एक लंबा रनवे है।
एक लाल रेखा परिचालन क्षेत्र और तकनीकी क्षेत्र का सीमांकन करती है। डेक पर छह हेलीकॉप्टर और 12 लड़ाकू जेट खड़े किए जा सकते हैं और खराब मौसम के दौरान इसे पकड़ने के लिए विमान को बंद किया जा सकता है। जेट को डेक के नीचे स्थित हैंगर में ले जाने के लिए दो लिफ्ट हैं। लंबा, सपाट डेक विमान के छोटे टेकऑफ़ और गिरफ्तार लैंडिंग की सुविधा प्रदान करता है।
बता दें कि विक्रांत का डैमेज कंट्रोल हेडक्वार्टर है जो 3,000 फायर सेंसर और 700 फ्लड सेंसर से सिग्नल प्राप्त करता है।
INS विक्रांत की विशेषताएं…
आइएनएस विक्रांत का नाम इसके शानदार पूर्ववर्ती के नाम पर रखा गया है जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- लागत: 20,000 करोड़ रुपये
- लंबाई: 262 मीटर
- चौड़ाई: 62 मीटर
- ऊंचाई 59 मीटर
- डिस्प्लेसमेंट: 45,000 टन
- पावर: 88 मेगावाट
- इंजन: 4 गैस टर्बाइन
- केबलिंग: 2,600 किमी
- मंजिलें: 14
- अस्पताल: 16 बिस्तर
- ऑपरेशन थियेटर: 2
- कम्पार्टमेंट: 2,300
महिला अधिकारियों के लिए है विशेष केबिन…
- क्षमता: 1,750 नाविक
- उड़ान डेक
- 6 हेलीकॉप्टर और 12 फाइटर जेट के लिए पार्किंग की व्यवस्था
- नाइट लैंडिंग के लिए 270 लाइट्स उपलब्ध
स्पीड फैक्टर…
- स्पीड: 28 समुद्री मील
- क्रूजिंग स्पीड (Cruising speed): 18 समुद्री मील
- इन्ड्युअरन्स (Endurance): 7,500 समुद्री मील
- 30 विमान संचालित कर सकते हैं।
- मिग 29के, एलसीए नेवी, कामोव 31
- MH-60R मल्टीरोल हेलीकॉप्टर
- एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (Advanced Light Helicopters)
- युद्धपोत-ग्रेड स्टील का उत्पादन नौसेना, डीआरडीओ और भारतीय इस्पात प्राधिकरण के बीच साझेदारी के माध्यम से किया जाता है।
- निर्माण के लिए 21,500 टन स्पेशल ग्रेड स्टील का इस्तेमाल किया गया है।
- समुद्री परीक्षण: अगस्त 2021-जुलाई 2022
याद रखने की तिथियां…
- Keel laid: फरवरी 2009
- लॉन्च किया गया: अगस्त 2013
- इंडिजिनस कंटेंट (Indigenous content): 76%