सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। जिसका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। आइए जानते हैं किन मंत्रों से की जानी चाहिए भोलेनाथ की पूजा।
मार्गशीर्ष मास की त्रयोदशी तिथि के दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार यह व्रत 21 नवम्बर 2022 के दिन रखा जाएगा। सोमवार के दिन होने के कारण ही इस व्रत को सोम प्रदोष व्रत नाम दिया गया है। शास्त्रों के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए प्रदोष व्रत के दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों को अधिक लाभ मिलेगा। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की आराधना करने से और व्रत का पालन करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। बता दें कि भगवान शिव की उपासना के लिए वेदों में कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं, जिनका उच्चारण करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
इन मंत्रों का जाप
प्रभावशाली मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।।
मान्यता है कि नितदिन इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके सभी दुःख दूर हो जाते हैं।
शिव गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् !
भगवान शिव को समर्पित यह मंत्र सबसे प्रभावशाली माना जाता है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को सुख-शांति मिलती है। साथ ही उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
क्षमा मंत्र- करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं । विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को अज्ञानतावश हुई गलती से मुक्ति मिल जाती है और उनपर भगवान शिव का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।
नियम
भगवान शिव की पूजा के लिए भक्तों को शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए सोम प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इससे पहले पूजा-स्थल की अच्छे से साफ-सफाई कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की पूजा करें। इस दिन मन्दिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाना ना भूलें। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, धतुरा, दूध, चंदन, फल इत्यादि अर्पित करें और परिवार के कल्याण की प्रार्थना करें। ऐसा करते समय मंत्रों का निश्चित रूप से जाप करें। इसके साथ आप शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का भी पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती जरूर करें।