मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि निशाना बनाए जाने के डर से जज जमानत देने से हिचकते हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जमानत के मामले में अनिच्छा के कारण ढेरों आवेदन लंबित हैं।
देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि आखिर जज जमानत देने से क्यों हिचकते हैं। जजों को जमानत देने से किस बात का डर लगता है? सीजेई चंद्रचूड़ ने कहा कि जमीनी स्तर पर न्यायाधीश निशाना बनाए जाने के डर से जमानत देने से हिचकते हैं। डीवाई चंद्रचूड़ को सम्मानित करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अदालत जमानत के मामलों में फंस रही है क्योंकि जमीनी स्तर पर जमानत देने में हिचकिचाहट है।
सीजेआई ने कहा कि जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने के डर की भावना के कारण जमीनी स्तर पर न्यायाधीश जमानत देने से हिचकते हैं। उन्होंने कहा कि जमानत देने के लिए जमीनी स्तर पर अनिच्छा के कारण अदालत में जमानत आवेदनों की बाढ़ आ गई है। जमीनी स्तर पर न्यायाधीश जमानत देने के लिए अनिच्छुक हैं, क्योंकि जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने का डर है।
कार्यक्रम में किरेन रिजिजू भी थे मौजूद
इस मौके पर कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे। रिजिजू ने तबादलों के लिए वकीलों की मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात को लेकर चिंता जताई। रिजिजू ने कहा, ‘मैंने सुना है कि कुछ वकील तबादलों को लेकर सीजेआई से मिलना चाहते हैं। यह एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है, लेकिन अगर यह कॉलेजियम द्वारा हर फैसले के लिए एक उदाहरण बन जाता है। तो ये कहां तक जाएगा, परिणाम बदल जाएंगे।’
50वें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
गौरतलब है कि 9 नवंबर को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश बने। चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक इस पद पर रहेंगे। सीजेआई चंद्रचूड़ के पिता का नाम यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ है। वे भारत के सबसे लंबे समय 7 साल तक चीफ जस्टिस रहे।