पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी पर जबानी हमले पर टिप्पणी करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि वाशिंगटन नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच वाकयुद्ध नहीं चाहता है।
अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि उनके देश के भारत और पाकिस्तान से बहुआयामी संबंध हैं। अधिकारी ने कहा कि, वो दोनों देशों के लोगों की बेहतरी के लिए उनके बीच सार्थक संवाद चाहता है ना कि ‘वाकयुद्ध’। अधिकारी ने कहा कि ये संबंध भारत और पाकिस्तान के साथ हमारे साझा लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए अत्यावश्यक हैं।
भारत के साथ वैश्विक सामरिक साझेदारी
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस से जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी द्वारा न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हाल में की गई टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ”हमारी भारत के साथ वैश्विक सामरिक साझेदारी है। मैंने, हमारे पाकिस्तान के साथ गहरे संबंध के बारे में भी बात की है। इन संबंधों का मतलब किसी एक का फायदा या दूसरे का नुकसान नहीं है। हम इन्हें एक-दूसरे से जोड़कर नहीं देखते।”
‘भारत-पाक के बीच संवाद देखना चाहते हैं’
प्राइस ने कहा कि, ”असल बात ये है कि दोनों देशों के साथ हमारी भागीदारी है और हम भारत-पाकिस्तान के बीच वाकयुद्ध नहीं देखना चाहते हैं। हम भारत और पाकिस्तान के बीच सार्थक संवाद देखना चाहते हैं। हमें लगता है कि ये पाकिस्तानी और भारतीय लोगों की बेहतरी के लिए जरूरी है। हम द्विपक्षीय रूप से एक साथ काफी कुछ कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि, ‘”भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ मतभेद हैं जिन्हें निश्चित तौर पर दूर करने की जरूरत है। अमेरिका एक साझेदार के रूप में दोनों की मदद करने के लिए तैयार है।”
भारत के साथ साझेदारी को मजबूत किया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, ”हमने भारत के साथ अपनी वैश्विक सामरिक साझेदारी को मजबूत किया है, हमारा ऐसा रिश्ता भी है जिसमें हम एक-दूसरे से खुलकर बात कर सकते हैं। हमारे बीच असहमति या चिंता हो सकती है, हम उनसे ऐसे ही बात करते हैं जैसे कि हम अपने पाकिस्तानी मित्रों से करते हैं।”
‘पीएम मोदी के बयान का स्वागत’
एक अन्य सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि ‘ये युद्ध का युग नहीं है’ तो दुनियाभर के देशों ने इस बयान का स्वागत किया था। उन्होंने कहा कि, ”ये महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के रूस से ऐसे संबंध हैं जो अमेरिका के नहीं हैं। मैं कहना चाहूंगा कि दशकों तक रूस ने भारत को वैसा भागीदार बनाने के लिए काम किया है, जैसा कि उस समय अमेरिका ने नहीं किया। जाहिर तौर पर हाल के दशकों में ये बदला है।”
नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच गहरे संबंध
प्राइस ने कहा कि बहुत कुछ अच्छा है जो हम एक साथ कर सकते हैं, ना केवल हमारे दोनों देशों के लिए, बल्कि दुनिया भर में और मुझे लगता है कि आने वाले वर्ष में हम इसका एक अच्छा उदाहरण देखेंगे, जब भारत जी20 की मेजबानी करेगा। प्राइस ने नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच गहरे संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि भविष्य में दोनों देश एक-दूसरे के और निकट आएंगे। उन्होंने कहा कि रूस-भारत के संबंधों में भी बदलाव आया है।