शुक्रवार को अमेरिका की एक अदालत ने यूएस मरीन में भर्ती होने वाले सिखों को दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की इजाजत दे दी। अदालत ने इलीट यूनिट के उस तर्क को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक आधार पर छूट देना आपस में एकजुटता को कमजोर करेगा।
प्रशिक्षण और युद्ध के दौरान नहीं थी इजाजत
यूएस आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और कोस्ट गार्ड के साथ कई विदेशी सेनाएं सिखों को धार्मिक आधार पर सुविधाएं देती हैं। लेकिन यूएस मरीन ने पिछले साल परीक्षा पास करने वाले तीन सिखों को 13 हफ्ते के प्रशिक्षण और युद्ध की संभावनाओं के दौरान छूट देने से इनकार कर दिया था। हालांकि इसके अलावा शेष समय के लिए उन्हें दाढ़ी बढ़ाने और पगड़ी पहनने की इजाजत दे दी गई थी।
दाढ़ी और पगड़ी से सुरक्षा या प्रशिक्षण में नहीं कोई बाधा
आदेश के मुताबिक मरीन के नेतृत्व का तर्क था कि भर्ती किए गए लोगों को सामुहिक त्याग के लिए मनोवैज्ञानिक बदलाव के तौर पर अपनी व्यक्तिगत पहचान छिपाना जरूरी है। वाशिंगटन में तीन न्यायाधीशों की बेंच ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि मरीन की तरफ से ऐसा कोई तर्क पेश नहीं किया गया कि दाढ़ी और पगड़ी से सुरक्षा या प्रशिक्षण में कोई बाधा आएगी।
कई मामलों में मिली हुई है छूट
अदालत ने इस बात पर गौर किया कि मरीन ने पुरुषों को ‘रोजर बम्प्स’ (एक तरह की त्वचा संबंधी परिस्थिति) में छूट दे रखी है। साथ ही महिलाओं को उनकी हेयर स्टाइल और टैटू के लिए इजाजत दी हुई है।
अदालत ने 1976 में दाढ़ी पर दिए गए आदेश को भी मद्देनजर रखा। अदालत ने प्राथमिक आदेश में मिलाप सिंह चहल और जसकिरीत सिंह को प्रशिक्षण के दौरान उनके विश्वास से जुड़ी सामग्री पहनने की इजाजत दी। जबकी एक जिला अदालत विस्तार से इस मामले पर विचार करेगी।
सिख कोलिएशन एडवोकेसी समूह में वरीष्ठ स्टाफ अटॉर्नी गिजने क्लैपर ने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हमारे देश को सेवाएं देने के लिए बुलाए जाने वाले इमानदार सिख अब अपनी सेवाएं यूएस मरीन में भी दे सकेंगे।