दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को 2022 के अंत तक ऐतिहासिक विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। वैश्विक मांग में गिरावट और सख्त कोरोना प्रतिबंधों के कारण पिछले महीने चीन के निर्यात में जोरदार गिरावट आई।
कोरोना के व्यापक प्रसार और रियल एस्टेट मंदी के दबाव के कारण पिछले साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर तीन प्रतिशत तक गिर गई। लाखों लोगों को घरों में बंद रखने वाले प्रतिबंधों के चलते चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। हालांकि अब प्रतिबंधों के हटने के बाद धीरे-धीरे इसमें सुधार हो रहा है। विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि चीन की जीडीपी 2023 में 4.3 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, हालांकि यह अभी भी अपेक्षाओं से कम है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दिसंबर में 2.9 प्रतिशत तक गिर गई है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में आर्थिक गतिविधि फिर से शुरू हो रही है, लेकिन सतर्क उपभोक्ता धीरे-धीरे ही शॉपिंग मॉल और रेस्तरां में लौट रहे हैं। इस बीच COVID-19 संक्रमण में वृद्धि हुई है। सरकार का कहना है कि ऐसा लगता है कि उस लहर का चरम बीत चुका है।
आधे से अधिक की गिरावट
2021 में चीन की अर्थव्यवस्था 8.1 फीसद की दर से आगे बढ़ी थी। अब इसमें आधे से अधिक की गिरावट हुई है। यह दर 2021 के प्रदर्शन की तुलना में पहले से ही बहुत कम है। सरकार ने 5.5 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया था। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने कहा कि चौथी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था साल-दर-साल 2.9 प्रतिशत बढ़ी, जबकि तीसरी तिमाही में यह 3.9 प्रतिशत थी।
टूटा सालों पुराना रिकॉर्ड
मंगलवार को जारी आंकड़े 1976 में चीन अर्थव्यवस्था के 1.6 फीसद सिकुड़ने के बाद से चीन के सबसे खराब विकास के आंकड़े हैं। माओत्से तुंग की मृत्यु और 2019 के अंत में वुहान में कोरोनोवायरस के उभरने के बाद 2020 में अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट देखने को मिली थी।
सख्त लॉकडाउन का असर
सख्त लॉकडाउन, क्वारंटीन और अनिवार्य सामूहिक कोरोना टेस्टिंग से चीन के प्रमुख मैन्युफैरिंग केंद्रों में विनिर्माण सुविधाओं और व्यवसायों को अचानक बंद करना पड़ा। दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री झेंग्झौ भी इसका शिकार हई। इसके चलते अर्थव्यवस्था में निर्यात प्रतिशत काफी घट गया। बीजिंग ने दिसंबर की शुरुआत में विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर अचानक महामारी प्रतिबंधों को ढीला कर दिया था।