उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपियों में से एक केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे की जमानत याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए गरिमा प्रसाद ने आशीष के अपराध को जघन्य और गंभीर बताया। सुनवाई के दौरान, अदालत द्वारा जब जमानत याचिका का विरोध करने का आधार पूछा गया तो उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर और जघन्य अपराध है और समाज में गलत संदेश जाएगा।”
इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि गंभीर और जघन्य अपराध के दो संस्करण होते हैं और वह किसी भी संस्करण पर टिप्पणी नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा प्रथम दृष्टया में हम यह मान रहे हैं कि वह घटना में शामिल थे और एक आरोपी है, वह निर्दोष नहीं है। बेंच ने पूछा कि क्या यह राज्य का मामला है कि उसने सबूत नष्ट करने का प्रयास किया? इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जवाब दिया, “अब तक तो ऐसा नहीं हुआ है।”
आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध करने वालों की तरफ से सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जमानत देने से समाज में खतरनाक संदेश जाएगा। उन्होंने कहा, “यह एक साजिश और एक सुनियोजित हत्या है। मैं चार्जशीट से यह दिखाऊंगा … वह एक शक्तिशाली व्यक्ति का बेटा है जिसका प्रतिनिधित्व एक शक्तिशाली वकील कर रहा है।” इस पर मिश्रा की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी बिफर पड़े, उन्होंने इसका विरोध करते हुए पूछा “यह क्या है? कौन शक्तिशाली है? हम हर दिन पेश हो रहे हैं। क्या यह जमानत नहीं देने की शर्त हो सकती है?”
रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से हिरासत में है और जिस तरह से सुनवाई चल रही है, उसे पूरा होने में सात से आठ साल लगेंगे। शिकायतकर्ता जगजीत सिंह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता, इसके चश्मदीद गवाह नहीं हैं और उनकी शिकायत सिर्फ और सिर्फ अफवाह पर आधारित है।