दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका का सुनवाई करते हुए ईएसआइसी को निर्देश जारी किया है और कहा है कि ईएसआइसी वेतन की सीमा पर ध्यान दिए बगैर बीमा धारक व्यक्ति के पिता का उपचार निजी अस्पताल में निशुल्क जारी रखे।
वेतन सीमा से अधिक होने पर उपचार रोकने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने करुणामयी दृष्टि अपनाते हुए कर्मचारी राज्य बीमा निगम को निर्देश जारी किया है।
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि ईएसआइसी वेतन की सीमा पर ध्यान दिए बगैर बीमा धारक व्यक्ति के पिता का उपचार निजी अस्पताल में निशुल्क जारी रखे। बुराड़ी स्थित संत नगर निवासी अर्जुन कुमार ओखला औद्योगिक क्षेत्र फेज-दो स्थित निजी कंपनी में कार्यरत हैं। वह ईएसआइसी कार्ड धारक थे। दिसंबर 2022 में उनके पिता सीता राम सिंह को कैंसर के उपचार के लिए रोहिणी स्थित ईएसआइसी अस्पताल ले जाया गया, वहां से उन्हें एक निजी अस्पताल रेफर कर दिया गया था। वहां उन्हें कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी कराने का परामर्श दिया गया। एक कीमोथेरेपी कर दी गई थी।
सैलरी बढ़ने पर इलाज से किया मना
इसी बीच अर्जुन का वेतन 21 हजार रुपये से अधिक हो गया। आगे के उपचार के लिए इस निजी अस्पताल में रेफर कराने को वह फिर से 30 दिसंबर 2022 को रोहिणी स्थित ईएसआइसी अस्पताल पहुंचे तो उन्हें यह कहते हुए इन्कार कर दिया गया कि उनका वेतन सीमा से ज्यादा हो चुका है। उन्हें ईएसआइसी का लाभ नहीं दे सकते।