कोर्ट में जज बनने से पहले मेरा भी राजनीतिक जुड़ाव रहा- जस्टिस.. 

 जहां सुप्रीम कोर्ट सुबह करीब साढ़े नौ बजे वकील लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी के याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया। वहीं एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी ने मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

 सुप्रीम कोर्ट आज वकील लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को उनके शपथ ग्रहण से ठीक पंद्रह मिनट पहले मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई किया। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में वकील लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया है।

वहीं दूसरी तरफ एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी ने मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह कॉलेजियम से सिफारिश पर पुनर्विचार के लिए नहीं कह सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें एडिशनल जज को स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति नहीं मिली क्योंकि उनकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं थी।

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां खास राजनीतिक जुड़ाव वाले लोगों को नियुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि जो तथ्य पेश किए गए हैं, वह साल 2018 में दिए एक भाषण के हैं और हमें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी विक्टोरिया गौरी के नाम की सिफारिश करने से पहले इन्हें देखा होगा। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ‘कोर्ट में जज बनने से पहले मेरा भी राजनीतिक जुड़ाव रहा है लेकिन मैं 20 सालों से जज हूं और मेरा राजनीतिक जुड़ाव मेरे काम के आड़े नहीं आया है’।

वकील गौरी सहित कुल 11 अधिवक्ताओं को किया गया नियुक्त 

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिन के दौरान ट्विटर पर नई नियुक्तियों की घोषणा की और उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं। वकील गौरी सहित कुल 11 अधिवक्ताओं और दो न्यायिक अधिकारियों को सोमवार को इलाहाबाद, कर्नाटक और मद्रास के उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

गौरी पर लगे हैं ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ घृणास्पद भाषण के आरोप

मद्रास उच्च न्यायालय के कुछ बार सदस्यों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर गौरी को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए की गई सिफारिश को वापस लेने की मांग की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ घृणास्पद भाषण दिए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Time limit exceeded. Please complete the captcha once again.