अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को लेकर बड़ा विवाद हुआ खड़ा

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केजरीवाल की घेराबंदी तेज कर दी है। आरोप लगाया गया है कि जिस समय दिल्ली समेत पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था उस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास को चमकाने में 45 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। दस्तावेजों के साथ दावा किया गया है कि लाखों के पर्दे और करोड़ों रुपए के विदेशी टाइल्स लगाए गए। भाजपा के साथ कांग्रेस ने भी आप की ‘नैतिकता’ पर सवाल उठाए और कहा कि जो केजरीवाल खुद को आम आदमी कहते थे और सरकारी आवास ना लेने की बात कहते थे वह आज करोड़ों रुपए अपने बंगले पर खर्च कर रहे हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी ने कहा है कि यह आवास काफी पुराना हो गया था और इसकी मरम्मत की आवश्यकता थी। केजरीवाल की पार्टी ने पीएम मोदी के आवास और जहाज पर खर्च गिनाकर बचाव की कोशिश की है।

भाजपा ने मंगलवार को दावा किया कि शहर के सिविल लाइंस इलाके स्थित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के ‘सौंदर्यीकरण’ पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए। टीवी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत ने ‘ऑपरेशन शीशमहल’ के तहत केजरीवाल के बंगले को लेकर कई बड़े दावे किए। पीडब्ल्यूडी के दस्तावेजों के आधार पर कहा गया कि 43.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड़ रुपये सिविल लाइंस में छह-फ्लैगस्टाफ रोड पर खर्च किए गए। 

दस्तावेजों से पता चलता है कि राशि 9 सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच 6 किस्तों में खर्च की गई। दस्तावेजों के मुताबिक, कुल खर्च में 11.30 करोड़ रुपये इंटीरियर डिजाइनिंग पर खर्च किए। 6.02 करोड़ रुपए पत्थर और मार्बल पर खर्च किए गए। कहा गया है कि मार्बल वियतनाम के हैं। एक करोड़ रुपये इंटीरियर कंसल्टेंसी के लिए दिए गए। 2.58 करोड़ रुपए बिजली फिटिंग पर खर्च हुए तो 2.85 करोड़ रुपए आग बुझाने के इंतजामों पर खर्च हुआ। 1.41 करोड़ रुपए वार्डरोब और एसेसरीज फिटिंग पर और किचन उपकरणों पर 1.1 करोड़ रुपए का खर्च शामिल है।

बीजेपी ने की घेराबंदी
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक बयान में कहा कि केजरीवाल के बंगले पर 45 करोड़ रुपये ऐसे समय में खर्च किए गए जब दिल्ली कोविड-19 से जूझ रही थी। सचदेवा ने कहा, ‘केजरीवाल को अपने उस नैतिक अधिकार के बारे में दिल्ली के लोगों को जवाब देना चाहिए, जिसके तहत उन्होंने अपने बंगले पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च किए, जब कोविड के दौर में अधिकांश सार्वजनिक विकास कार्य ठप थे।’ दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह स्थापित हो गया है कि केजरीवाल एक घर में नहीं बल्कि एक ‘शीश महल’ में रहते हैं और मुख्यमंत्री से ‘नैतिक’ आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि सितंबर, 2020 से दिसंबर, 2021 तक 16 महीने की अवधि में कोविड चरम पर था, जब औद्योगिक गतिविधियां ठप थीं और दिल्ली सरकार का राजस्व आधे से भी कम हो गया था और सरकार ने धन की कमी का हवाला देते हुए विकास परियोजनाओं को रोक दिया था। सचदेवा ने आरोप लगाया, ‘उस नाजुक दौर में केजरीवाल ने अपने घर पर करीब 45 करोड़ रुपए उड़ाए, यह उनकी संवेदनहीनता का बड़ा सबूत है।’

कांग्रेस ने भी घेरा
कांग्रेस नेता अजय माकन ने केजरीवाल के लोक सेवक के रूप में अपने पद पर बने रहने के अधिकार पर सवाल उठाया। माकन ने कहा कि केजरीवाल ने कथित तौर पर अपने आलीशान बंगले पर सार्वजनिक धन के 45 करोड़ रुपए खर्च किए, जिसमें वियतनाम मार्बल, महंगे पर्दे और महंगे कालीन जैसी फालतू चीजें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी का नाम ‘आम आदमी पार्टी’ रखने और एक आम आदमी की तरह रहने की प्रतिज्ञा करने के बावजूद केजरीवाल ने अपने बंगले पर एक बड़ी राशि ऐसे समय खर्च की जब दिल्ली के लोगों को कोविड महामारी के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर की सख्त मांग थी।

आप ने क्या कहा?
आप के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने उसी चैनल से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री आवास 75-80 साल पहले 1942 में बनाया गया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की सिफारिश की थी। पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह नवीनीकरण नहीं था और पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा बनाया गया है। वहां उनका शिविर कार्यालय भी है। खर्च लगभग 44 करोड़ रुपए है, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि पुराने ढांचे को नए के साथ बदला गया है।’

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