कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ अवैध रूप से अधिसूचना रद करने और साइटों के आवंटन से संबंधित एक आपराधिक कार्यवाही को रद कर दिया है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के आधार पर 2015 में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दिग्गज भाजपा नेता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। यह सरकार द्वारा भूमि की अधिसूचना रद करने और बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा साइटों के आवंटन से संबंधित है।
सीएजी की रिपोर्ट पर कोर्ट ने किया विचार
येदियुरप्पा के वकील ने न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि समान पक्षों के बीच 2016 में जुड़े मामलों में उच्च न्यायालय की एक समन्वय पीठ द्वारा दिए गए फैसले में इसी मुद्दे को शामिल किया गया था। समन्वय पीठ ने आरोपों पर विचार किया था कि क्या सीएजी की रिपोर्ट आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 154 की उप-धारा (1) के तहत अपराध के पंजीकरण का विषय बन सकती है।
2016 के फैसले को न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने 1 जून को अपने फैसले में उद्धृत किया था कि “कैग रिपोर्ट न्यायिक जांच के लिए उपलब्ध नहीं होने के कारण, मेरी राय में, एक आपराधिक मामला बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और इसे जांच का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है।”
अदालत ने कहा, “समन्वय पीठ (सुप्रा) द्वारा दिए गए फैसले से सभी चारो तरफ से कवर किए गए मुद्दे के आलोक में मैं याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही को खत्म करना उचित समझता हूं।”