देश भारत की प्रगति नहीं चाहते, वे यहां के समाज को बांटने की कोशिश कर रहे- मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जो देश भारत की प्रगति नहीं चाहते, वे यहां के समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। नागपुर के जगन्नाथ मंदिर में मंगलवार को दर्शन करने के बाद उन्होंने कहा, ”राक्षसी ताकतें भारत की प्रगति का विरोध करती हैं और आंतरिक कलह भड़काकर परेशानी खड़ी करने पर तुली हुई हैं।”

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संघ परिवार से संचालित माधव नेत्रालय द्वारा आयोजित ‘नेत्र संजीवनी’ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर एक समारोह में बोलते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, “अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति कुछ देशों द्वारा अपने स्वार्थी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लागू की जा रही है, लेकिन एकजुट भारत को इन बाहरी ताकतों से हराया नहीं जा सकता है।”
 
भागवत ने कहा कि 1857 के बाद, ब्रिटिश राज ने देश में ‘फूट डालो और राज करो’ की व्यवस्थित नीति अपनाई। उन्होंने कहा कि “बंगाल विभाजन के समय, अंग्रेजों ने हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने की कोशिश की थी, लेकिन वे बुरी तरह विफल रहे क्योंकि उस दौरान देश के लोग एकजुट थे और इसके खिलाफ लड़े थे लेकिन 1947 में वे (अंग्रेज) सफल हुए और नतीजा हमारे सामने है.”

भागवत ने कहा कि आसुरी शक्तियां भारत की प्रगति की विरोधी हैं और आंतरिक कलह भड़काकर अशांति फैलाने पर आमादा हैं। इसके साथ ही संघ प्रमुख ने एक दूसरे के साथ सद्भाव से रहने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ”जब तक हम एकजुट हैं, तब तक दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो हमें हरा सके। यही कारण है वे हमें तोड़ने की कोशिश करते हैं।”

संघ प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में सदियों से मुसलमानों को सुरक्षित रखा गया है। भारतीय भूल रहे हैं कि हम एक हैं। विभाजन अंग्रेजों के कारण हुआ है, जिन्होंने भारत में सांप्रदायिकता के बीज बोये। अंग्रेजों ने मुसलमानों से कहा कि यदि वे हिंदू बहुसंख्यक राज्य में होंगे, तो उन्हें कोई शक्ति, पद या प्रभाव नहीं मिलेगा। उन्होंने इसी तरह हिंदुओं को मुसलमानों के साथ रहने के खतरों के बारे में आश्वस्त किया, जिनके बारे में उनका दावा था कि वे स्वभाव से चरमपंथी हैं।

भागवत ने कहा, “जब तक हम साथ हैं, दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं जो हमें हरा सके। इसीलिए वे हमें तोड़ने की कोशिशें करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “कुछ देश जो नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े, वे देश में समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। ये ताकतें लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करने के लिए विभिन्न मुद्दों का इस्तेमाल कर रही हैं। हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन हम आपस में लड़ रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि हम एक देश हैं।”

इससे पहले, इसी महीने के पहले सप्ताह में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक संरक्षक ने कहा था कि भारत में मुस्लिम समुदाय ‘सुरक्षित’ है। उन्होंने नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा था कि इस्लाम भारत से ज्यादा कहां सुरक्षित  है? उन्होंने कहा था, “हालाँकि हम सभी अलग दिखते हैं और अलग-अलग आस्थाओं का पालन करते हैं, लेकिन हम सभी एक ही मातृभूमि – भारत के निवासी हैं।” 

संघ प्रमुख ने हाल के दिनों में बार-बार यह भी कहा कि भारत में रहने वाले लोगों की ‘हिंदू जड़ें’ हैं क्योंकि उनके पूर्वज हिंदू थे और इस लिहाज से भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू बन जाता है, भले ही वे आज अलग-अलग धर्मों का पालन करते हों। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की इबादत के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सबकी जड़ें एक ही हैं।

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