अमेरिका-कनाडा का मुद्दा एक जैसा नहीं, एस जयशंकर का बड़ा बयान

खालिस्तान समर्थक तत्वों के बारे में अमेरिका और कनाडा की ओर से लगाए गए आरोपों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को जोर देकर कहा कि दोनों मुद्दे एक जैसे नहीं हैं। साथ ही कहा कि भारत मामले पर विचार करने के लिए तैयार है।

भारत बेहद जिम्मेदार एवं विवेकशील

रोटरी इंस्टीट्यूट-2023 कार्यक्रम में अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि भारत एक ऐसा देश है कि वह जो करता है उसके प्रति बेहद जिम्मेदार एवं विवेकशील है और हमारे लिए पूरा मसला यही है कि हम इसे हमेशा कायम रखते हैं। सिर्फ कनाडा ही नहीं, किसी भी देश की कोई चिंता है और वह कुछ इनपुट या आधार देता है तो हमेशा उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं। देश यही करते हैं।’ उनका इशारा खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की कथित संलिप्तता के बारे में कनाडा के आरोपों की ओर था।

अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में समय-समय पर ऐसी चुनौतियां आती हैं

जयशंकर ने आगे कहा, ‘इसीलिए हमने बेहद गंभीरता से कनाडा से कहा कि यह आप पर निर्भर है कि हम इसे आगे बढ़ाएं, इस पर आगे विचार करें या नहीं।’ न्यूयार्क सिटी में अमेरिकी नागरिक (खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू) की नाकाम साजिश के सिलसिले में निखिल गुप्ता पर अमेरिकी अभियोजन का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि जब अमेरिकियों ने यह मामला सामने रखा तो उन्होंने कुछ खास चीजें बताईं और भारत उन्हें देख रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों मुद्दे समान नहीं हैं। साथ ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में समय-समय पर ऐसी चुनौतियां आती हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा, ‘सुरक्षा परिषद पुराने क्लब (ओल्ड क्लब) की तरह है जिसमें पहले से स्थापित सदस्य हैं जो अपनी पकड़ नहीं छोड़ना चाहते। वे क्लब पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं। जो और सदस्यों को शामिल करने के इच्छुक नहीं हैं और जो नहीं चाहते कि उनके क्रियाकलापों पर सवाल उठाए जाएं।’

वैश्विक भावनाओं के बारे में भी बता सकता हूं

विदेश मंत्री ने कहा, ‘एक तरह से यह मानवीय विफलता है। लेकिन मुझे लगता है कि आज यह दुनिया को नुकसान पहुंचा रही है क्योंकि दुनिया के समक्ष प्रमुख मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता कम होती जा रही है। मैं इस बारे में वैश्विक भावनाओं के बारे में भी बता सकता हूं। आज अगर आप दुनिया के 200 देशों से पूछेंगे कि वे सुधार चाहते हैं या नहीं तो बहुत बड़ी संख्या में देश कहेंगे- हां हम सुधार चाहते हैं।’

भारत की जी-20 अध्यक्षता पर जयशंकर ने कहा, ‘कई मायनों में जी-20 इस वर्ष की कूटनीतिक उपलब्धि रही। सिर्फ इसलिए नहीं कि हम सभी को सहमत कर सके, बल्कि इसलिए कि हम किस बात पर सहमत हुए।’ उन्होंने कहा कि जी-20 अध्यक्षता के जरिये भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सतत विकास एवं हरित विकास को बढ़ावा देने की नई प्रतिबद्धता दिखाने में सक्षम हुआ जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान अधिक मात्रा में ऋण देंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 कूटनीति के विश्वकप की तरह है जहां सबसे बड़े और ताकतवर खिलाड़ी एक साथ आते हैं।

जी-20 की अध्यक्षता के जरिये हमने सभी विभाजनों को पाट दिया

उन्होंने कहा, ‘जब हमने अध्यक्षता संभाली थी तो लोगों को इससे बहुत उम्मीदें नहीं थीं। अपनी जी-20 की अध्यक्षता के जरिये हमने सभी विभाजनों को पाट दिया, उन देशों के लिए साझा आधार खोजा जो आपस में उलझ रहे थे, जिनके लिए सामंजस्य बिठाना बहुत मुश्किल था।’ जयशंकर ने कहा कि पिछले एक दशक में जो किया गया है, वह भारत में भविष्य की नींव है। इसलिए देश की उपलब्धियों, क्षमताओं, आकांक्षाओं और सपनों के बीच सीधा संबंध है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.