योगी ने आगे लिखा कि राज्य में शांति, सौहार्द और महिलाओं की सुरक्षा को भंग करने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्हें कानून के अनुसार ऐसी सजा दी जाएगी, जो समाज के लिए एक उदाहरण बने।
उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने धर्म परिवर्तन कराने वाले गिरोह के कथित सरगना को उसके सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और सह-आरोपी नीतू उर्फ नसरीन बलरामपुर जिले के मधपुर के निवासी हैं। बयान में कहा गया कि जलालुद्दीन के खिलाफ एक अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किया था, जबकि पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 50,000 रुपये का नकद इनाम घोषित किया था।
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पूरे मामले को लेकर अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। योगी ने एक्स पर लिखा कि हमारी सरकार बहन-बेटियों की गरिमा और सुरक्षा के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी जलालउद्दीन की गतिविधियां समाज विरोधी ही नहीं, बल्कि राष्ट्र विरोधी भी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कानून व्यवस्था को लेकर किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतेगी। आरोपी और उसके गिरोह से जुड़े सभी अपराधियों की संपत्तियां जब्त की जाएंगी और उन पर सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
योगी ने आगे लिखा कि राज्य में शांति, सौहार्द और महिलाओं की सुरक्षा को भंग करने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्हें कानून के अनुसार ऐसी सजा दी जाएगी, जो समाज के लिए एक उदाहरण बने। जांचकर्ताओं ने बताया कि मुंबई निवासी घनश्याम रोहेरा, उनकी पत्नी नीतू और बेटी समाले ने नवंबर 2015 में दुबई में इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम क्रमशः जमालुद्दीन, नसरीन और सबीहा रख लिया। बाद में, जमालुद्दीन और उसका परिवार बलरामपुर में चांद औलिया दरगाह के पास रहने लगा, जहाँ वह खुद को सूफी संत हजरत बाबा जमालुद्दीन ‘पीर बाबा’ बताता था।
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उन्होंने कहा, “जांच में यह भी पता चला कि गिरोह नाबालिगों का धर्म परिवर्तन करने में शामिल था। इसके संचालन की वित्तीय जांच से पता चला कि कथित तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी स्रोतों से 40 खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेजी गई थी। इन निष्कर्षों के आधार पर, एसटीएफ ने एक मामला दर्ज किया, जिसकी जांच वर्तमान में एटीएस द्वारा की जा रही है। पुलिस ने कहा कि जमालुद्दीन के ठिकाने से बरामद एक डायरी में 100 से अधिक लोगों के नाम थे, जिन्हें धर्म परिवर्तन के लिए लालच दिया जा सकता था। मामले के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थों को देखते हुए, राज्य पुलिस ने एनआईए और ईडी को शामिल करते हुए बहु-एजेंसी जांच की मांग की है।