देहरादून । हिमालयी राज्यों में बढ़ते खतरे को लेकर केंद्र सरकार सतर्क है। उत्तराखंड में पांच हिमनद झीलों को लेकर संकट की स्थिति देखते हुए व्यापक सर्वेक्षण और आपदा न्यूनीकरण के उपाय किए जा रहे हैं।
दरअसल, हिमालयी राज्यों में कुल 188 हिमनद झीलों को चिन्हित किया गया है, जिनमें उत्तराखंड की 13 झीलें शामिल हैं। इनमें से पांच झीलों को अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। इनसे संभावित खतरों के आकलन के लिए विशेषज्ञों की दो टीमें गठित की गई हैं, जो इन झीलों का अध्ययन और सर्वेक्षण कर रही हैं।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि उत्तराखंड में चिन्हित अति संवेदनशील हिमनद झीलों पर गहन अध्ययन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य संभावित खतरों को समय रहते रोकना और सुरक्षा उपाय लागू करना है।
सर्वेक्षण के लिए एनआईएच रुड़की, जीएसआई लखनऊ, आईआईआरएस देहरादून, यूएसडीएमए और यूएलएमएमसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों से मिलकर एक टीम बनाई गई है। इसके अलावा, सी-डेक पुणे और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलाजी भी इस अध्ययन में सहयोग कर रहे हैं। टीमों ने अभी तक दो हिमनद झीलों का सर्वेक्षण किया है और उनकी स्थिति का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है। इन प्रयासों का उद्देश्य झीलों से संभावित आपदा के जोखिम को कम करना और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित करना है।
उल्लेखनीय है कि हिमालयी राज्यों में ऐसी झीलें आपदा प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन सकती हैं। सरकार और विशेषज्ञों की टीम मिलकर इन खतरों का समाधान ढूंढने में जुटी है। हिमालयी राज्यों में कुल 188 हिमनद झीलों को चिन्हित किया गया है।