डा. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) और उससे जुड़े कालेजों में इस सत्र से अंग्रेजी के अलावा हिंदी में भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राओं को मिलेगा। शैक्षणिक सत्र 2022-23 की प्रवेश प्रक्रिया इस महीने से शुरू होने वाली है।
ऐसे छात्र-छात्राएं जो अंग्रेजी कमजोर होने से इंजीनियरिंग की पढ़ाई से कतराते थे। इस साल से उन्हें अंग्रेजी से आजादी मिल गई है। डा. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) और उससे जुड़े कालेजों में इस सत्र से अंग्रेजी के अलावा हिंदी में भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राओं को मिलेगा। क्योंकि यूपी बोर्ड के छात्र ही एकेटीयू में सबसे अधिक प्रवेश लेते हैं।
एकेटीयू से प्रदेश भर में 756 कालेज जुड़े हैं। इन कालेजों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 की प्रवेश प्रक्रिया इस महीने से शुरू होने वाली है। 31 अगस्त से इसके लिए काउंसिलिंग शुरू हो रही है। इसके साथ ही बीटेक में पढ़ने और पढ़ाने का तरीका भी बदल दिया गया है। बीटेक प्रथम वर्ष में छात्रों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम के अलावा हिंदी में कराई जाएगी।
शिक्षक कक्षा में पढ़ाते समय छात्रों से बातचीत करके यह देखेंगे कि वह किस भाषा में आसानी से विषय को समझ रहे हैं। वह इंजीनियरिंग के टर्म का इस्तेमाल भले ही अंग्रेजी में करेंगे, लेकिन उसे हिंदी में समझाने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही बीटेक प्रथम वर्ष की परीक्षा के दौरान भी प्रश्नपत्र हिंदी और अंग्रेजी में छपकर आएगा। छात्र- छात्राएं परीक्षा में हिंदी में अपने उत्तर को लिख सकेंगे। इस बदलाव पर एकेटीयू की सहमति मिल गई है।
सबसे अधिक यूपी बोर्ड के छात्र लेते हैं प्रवेश
एकेटीयू और उससे जुड़े कालेजों में सबसे अधिक यूपी बोर्ड के छात्र प्रवेश लेते हैं। इस साल इस बदलाव से यूपी बोर्ड के छात्रों की संख्या इंजीनियरिंग में और भी बढ़ सकती है।
नए कोर्स भी करेंगे छात्र :
एकेटीयू में नई शिक्षा नीति भी लागू कर दी गई है। इसके तहत छात्र बीटेक में मेजर कोर्स के साथ माइनर कोर्स भी ले सकेंगे। बीटेक मैकेनिकल के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग और इंटरनेट आफ थिंग में माइनर डिग्री शुरू की जा रही है। साथ ही बीटेक आनर्स की भी डिग्री दी जाएगी।कुलपति प्रो. पीके मिश्र का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों को मल्टीपल एग्जिट और एंट्री की भी सुविधा रहेगी। हिंदी माध्यम से आने वाले छात्र अब आसानी से विषय को समझेंगे। इससे रटने की प्रवृत्ति खत्म होगी