लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) तीनों राष्ट्रीय दल हैं, परन्तु महिलाओं के सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन को लेकर इन तीनों की सोच में बहुत फर्क है। केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकारें जहां महिला सशक्तिकरण को लेकर जहां महिलाओं को नौकरी, रोजगार, आवास, रसोई गैस और शौचालय उपलब्ध करा रही हैं। वहीं कांग्रेस, बीएसपी तथा अन्य विपक्षी दल सिर्फ सत्ता में आने पर स्कूटी देने और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ावा देने तथा महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करने सरीखे चुनावी वादे कर रहे हैं। सपने दिखा रहें हैं। ऐसे वादो के चलते ही राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर शुरू हुई सियासी चर्चाओं में अब महिला सशक्तिकरण एक प्रमुख मुददा बन गया है। महिला सशक्तिकरण को लेकर किस राजनीतिक दल ने क्या किया है? इस पर अब जनता के बीच गंभीर चर्चा हो रही है।
वैसे भी हर चुनावों में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। आगामी चुनावों में भी हर राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को कैसे लुभाया जाए, इस महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब खोजने में जुटा है। कांग्रेस, सपा और बसपा के लिए यह काफी कठिन सवाल है, क्योंकि केंद्र और राज्य की सरकार ने महिलाओं के लिए जो घोषणाएं की, उनमें से तमाम योजनाओं को पूरा कर इन विपक्षी दलों को बैकफुट पर ला दिया है। यही वजह है कि जब बीते 16 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर सरकार द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख जब सदन में किया तो विपक्ष की बोलती बंद हो गई। महिला सशक्तिकरण को लेकर राज्य में क्या -क्या फैसले लिए गए? किस तरह से अभियान चलाकर लव जिहाद को खत्म किया गया और महिलाओं को नौकरी तथा रोजगार मुहैया कराए गए? इसे लेकर लोग अपनी अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस संबंध में अपना विचार सदन को बता चुके हैं। गत 16 दिसंबर को मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री ने सदन में कहा था कि आंकड़े झूठ नहीं बोलते। पिछली और मौजूदा सरकार में क्या फर्क है अब यह भी आईने की तरह साफ हो गया। अब सरकार महिलाओं को उनका हक दिलवा रही है। मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि प्रदेश सरकार ने स्नातक तक बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा देने के साथ मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत क्रमश : 10 लाख और 1.80 करोड़ बालिकाओं को लाभांवित किया गया। नौकरियों में भी सरकार ने महिलाओं को प्राथमिकता दी। इस क्रम में 01 लाख से अधिक महिलाओं को सरकारी नौकरी में लिया गया। साथ ही लगभग 56 हजार बैंकिंग करेस्पोंडेन्स सखियों की नियुक्ति की गयी। निराश्रित महिला पेंशन 2012-17 में 17 लाख 31 हजार को 300 रुपए प्रति माह पेंशन दी जा रही थी, वर्तमान में 30 लाख 34 हजार निराश्रित महिलाओं को 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। आयु सीमा की बाध्यता समाप्त की गयी। वर्तमान में निराश्रित महिलाओं को 500 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर रुपए 1000 प्रति माह की गई है। इसके अतिरिक्त महिलाओं एवं बालिकाओं के सर्वांगीण विकास एवं कल्याण के लिये मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना, महिला सामर्थ्य योजना, किशोरी बालिका योजना, शबरी संकल्प अभियान, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना तथा प्रधानमंत्री मात्र वन्दना योजना जैसी योजनायें संचालित हैं। महिलाओं के स्वावलम्बन, सम्मान और सशक्तीकरण के लिए मिशन शक्ति योजना शुरू की गई है। प्रदेश में दो करोड़ 94 लाख से अधिक शौचालय (इज्जतघर) निर्मित किए गए हैं। और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में गरीब महिलाओं को 1 करोड़ 67 लाख निःशुल्क गैस कनेक्शन वितरित किए गए हैं।
पौने पांच वर्षों में सरकार द्वारा प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को लेकर किए गए ऐसे प्रयासों की अब शहर तथा गांवों में चर्चा हो रही है। कहा जा रहा कि प्रदेश सरकार ने जो कहा था वह किया है। जबकि विपक्षी दल अभी भी महिला सशक्तिकरण को लेकर हवा-हवाई वादे कर रहे हैं। ऐसे वादे करने में कांग्रेस सबसे आगे है। हालांकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सबसे कमजोर राष्ट्रीय दल है। इस पार्टी का संगठन बेहद ही जर्जर अवस्था में है। फिर भी कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी में कांग्रेस की खोई सियासी जमीन को फिर से हासिल करने के लिए अपना पूरा फोकस महिलाओं पर दिया हुआ है। उन्होंने पार्टी को पुनर्जीवित करने की कोशिशों के तहत महिलाओं के लिए अलग घोषणा पत्र जारी किया। जिसमें प्रियंका ने मनरेगा में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का वादा किया है। महिलाओं के लिए आवासीय खेल एकेडमी खोलने और पुलिस बल में 25 फीसदी महिलाओं को शामिल करने की घोषणा की है। महिलाओं को सालाना तीन मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर और छात्राओं को स्कूटी और स्मार्टफोन देने और आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह मासिक 10,000 और विधवा पेंशन के रूप में प्रतिमाह 1,000 रुपए देने, चुनाव में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने जैसे वादे कर चुकी हैं। परन्तु पंजाब तथा अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में कांग्रेस महिलाओं के लिए ऐसे वादे नहीं कर रही है। कांग्रेस की तरफ ऐसी कोई घोषणा बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने नहीं की है। महिला सशक्तिकरण को लेकर बीएसपी ने सिर्फ यहीं कहा है कि पार्टी राजनीति में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का समर्थन करती रही है। वहीं सपा का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने तथा महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करेगी। महिला सशक्तिकरण को लेकर कांग्रेस, बीएसपी और सपा के यह वादे जनता को भा नहीं रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार महिलाओं को नौकरी, रोजगार दे रही है और महिलाओं की सुरक्षा का प्रबन्ध करते हुए उन्हें पढ़ाने की बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने में जुटी है, वही विपक्ष फिर से महिलाओं को सपने दिखा रहा है।