आईपीएल 2023 में 9 अप्रैल यानी सुपर संडे को खेले गए डबल हेडर के पहले मुकाबलों में छक्कों की बौछार देखने को मिली। कोलकाता नाइट राइडर्स और गुजरात टाइटंस के बीच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में रिंकू सिंह का बल्ला जमकर गरजा।
में 9 अप्रैल को खेले गए डबल हेडर के पहले मुकाबले में फैंस को छक्कों की बौछार देखने को मिली। कोलकाता नाइट राइडर्स और गुजरात टाइटंस के बीच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए मैच में रिंकू सिंह का बल्ला जमकर गरजा। पूरे स्टेडियम में हर किसी के मुंह से सिर्फ और सिर्फ रिंकू सिंह का नाम निकल रहा था।
उनके बल्ले से आखिरी ओवर में लगातार पांच छक्कों की बरसात किसी चमत्कार से कम नहीं थी। दरअसल, गुजरात टीम से लिए 205 रन का पीछा करते हुए केकेआर टीम 19 ओवर में 7 विकेट क नुकसान पर 176 रन पर बल्लेबाजी कर रही थी। आखिरी ओवर में टीम को 29 रन की गुजारिश थी। एक तरफ जहां गुजरात के खेमे में जीत का जश्न शुरू होने लगा था, तो वहीं उनके इस सपने को रिंकू ने सपना ही बने रहने दिया और आखिरी ओवर में पांच गेंदों पर 5 छक्के जड़ टीम को 3 विकेट से जीत दिलाई।
रियल हीरो बने Rinku Singh
बता दें कि ने आखिरी ओवर में लगातार पांच गेंदों पर 5 छक्के जड़े और गुजरात के जबड़े से जीत छीन ली। उन्होंने मैच में 21 गेंदों पर 48 रन ठोककर नाबाद पारी खेली। बता दें कि रिंकू सिंह का करियर भी काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उन्हें क्रिकेटर बनने के लिए झाडू-पोछा तक लगाना पड़ा था। इतना ही नहीं रिंकू के पिता सिलेंडर बांटने का काम करते थे।उन्होंने अपना बचपन 2 कमरे के घर में गुजारा और आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने सफाई का काम करने का मन बनाया, लेकिन फिर उन्होंने सब कुछ छोड़कर अपने खेल पर ध्यान दिया और उत्तर प्रदेश की अंडर16,अंडर 19 , अंडर 23, सेंट्रल जोन से खेलते हुए वो रणजी ट्रॉफी तक पहुंचे और साल 2017 में आईपीएल में एंट्री मिली
साल 2018 में वह केकेआर टीम में चले गए। लेकिन, साल 2019 उनके लिए बेहद ही बुरा रहा, जहां अचानक से बीसीसीआई ने उन पर 3 महीनों का बैन लगाया। दरअसल, 2019 में परमिशन लिए बिना ही वो अबु धाबी टी20 टूर्नामेंट में खेलने चले गए थे, जिस वजह से बीसीसीआई ने उन पर बैन लगाया, लेकिन बाद में उन्होंने वापसी की और कोलकाता की इस जीत में वह हीरो बनकर उभरे।
रिंकू को पिता से खानी पड़ी थी मार
कहते है न कोशिश करने वालों की हार नहीं होती… इस कहावत को रिंकू सिंह ने सच साबित किया है। बता दें कि रिंकू ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि साल 2012 में उन्हें क्रिकेट खेलने पर पिता से मार तक खानी पड़ी थी, लेकिन उन्होंने अपनी जिंद नहीं छोड़ी और साल 2012 में ही क्रिकेट खेलते हुए मोटरसाइकिल ईनाम में जीती। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें सपोर्ट किया और इस मुकाम तक पहुंचाने में खास योगदान दिया