लखनऊ। चुनावी साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों प्रदेश के 10,500 से ज्यादा गांवों के निवासियों को उनकी आवासीय संपत्तियों के स्वामित्व प्रमाणपत्र (ग्रामीण आवासीय अभिलेख/घरौनी) बंटवाने की तैयारी है। पिछले साल 11 अक्टूबर को प्रदेश के 346 गांवों में घरौनी वितरण का शुभारंभ करने वाले प्रधानमंत्री ने बीते सितंबर में संयुक्त राष्ट्र आम सभा को संबोधित करते हुए भारत के ग्रामीणों को प्रापर्टी कार्ड वितरण का उल्लेख किया था।
ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्ति के मालिकाना हक के अभिलेख मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार का पंचायती राज मंत्रालय स्वामित्व योजना संचालित कर रहा है। योजना के तहत गांवों के आबादी क्षेत्र का ड्रोन के जरिये हवाई सर्वेक्षण कराकर उसके आधार पर तैयार किये गए ग्रामीण आवासीय अभिलेख लोगों को दिए जा रहे हैं। प्रदेश के 82913 गांव योजना के तहत ड्रोन से हवाई सर्वेक्षण के लिए अधिसूचित किये जा चुके हैं। प्रदेश के 39,514 गांवों में ड्रोन के जरिए हवाई सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। जिन गांवों में हवाई सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है, उनमें से 12,526 गांवों के 17,63,739 घरों की घरौनी तैयार की जा चुकी है। इनमें से 2006 गांवों के 2.74 लाख घरों के मालिकों को पूर्व में घरौनी बांटी जा चुकी है। अब 10,500 से ज्यादा गांवों के 14.89 लाख आवासों के स्वामियों को घरौनी वितरण होना है। स्वामित्व योजना में उप्र का प्रदर्शन अन्य राज्यों से बेहतर रहा है। लिहाजा प्रधानमंत्री के हाथों 10,500 गांवों के निवासियों को घरौनी वितरण कराकर चुनावी साल में इसका सियासी लाभ लेने की मंशा है। फिलहाल प्रधानमंत्री के हाथों घरौनी वितरण की तारीख अभी तय नहीं है।