राजधानी लखनऊ की सुप्रसिद्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. नूपुर
लखनऊ। आज एक दिसंबर है। 1988 के बाद से हर साल इस दिन विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगों की मदद करने के लिए धन जुटाना, लोगों में एड्स रोकने के लिए जागरूकता फैलाना और एड्स से जुड़े मिथ दूर करते हुए लोगों को शिक्षित करना है।
आइए जानते हैं राजधानी लखनऊ की सुप्रसिद्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. नूपुर क्या कहती हैं इस बीमारी के बारे में।
एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और यह एक तरह का विषाणु है। एड्स एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को जीते-जी मरने पर विवश कर देती है। आज एड्स दुनियाभर में सबसे घातक बीमारी के रूप में उभरकर सामने आया है।
डॉ. नूपुर कहती हैं कि यह ऐसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इससे बचा ही नहीं जा सकता। इस बीमारी का एकमात्र इलाज बचाव है।
1988 से हर साल एक दिसंबर को लोगों को एड्स के लक्षण, इससे बचाव, उपचार, कारण के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके अलावा और भी कई तरह के अभियान चलाए जाते हैं। जिससे इस महामारी को जड़ से खत्म करने के प्रयास किए जा सकें।
घट जाती है प्रतिरोधी ताकत
डॉ. नूपुर कहती हैं कि एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम है। यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है। ये वायरस प्रतिरोधी क्षमता कमज़ोर कर देता है। एड्स एच.आई.वी. पाजिटिव महिला से उसके बच्चे, असुरक्षित यौन संबंध या संक्रमित रक्त या सुई के प्रयोग से हो सकता है।
ऐसे फैलता है
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित संभोग इस बीमारी के प्रसार का प्रमुख कारण है। ऐसे संबंध समलैंगिक भी हो सकते हैं। इसके अलावा ब्लड-ट्रांसफ्यूजन के दौरान शरीर में एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने पर भी इस बीमारी की आशंका रहती है।
एचआईवी पॉजिटिव महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान या फिर स्तनपान कराने से भी नवजात शिशु को एचआईवी हो सकता है।
इसके अलावा रक्त या शरीर के अन्य द्रव्यों जैसे वीर्य के एक दूसरे में मिलने, दूसरों के ब्लेड, उस्तरा और टूथ ब्रश का इस्तेमाल करने से भी एचआईवी का खतरा रहता है।
बीमारी के लक्षण
एड्स होने पर मरीज का वजन अचानक कम होने लगता है और लंबे समय तक बुखार हो सकता है। काफी समय तक डायरिया बना रह सकता है। इसके अलावा शरीर में गिल्टियों का बढ़ जाना व जीभ पर भी काफी जख्म हो सकते हैं।
उपचार
एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए आशावान होना जरूरी है। अपने डॉक्टरों के निर्देशों पर पूरा अमल कर दवाएं सही तरीके से लेते रहना और एक स्वस्थ जीवनचर्या बनाये रखने से इस रोग को नियंत्रित कर सकते हैं।
बीमारी को लेकर भ्रम
कई लोग सोचते हैं कि एड्स रोगी के साथ उठने बैठने से यह रोग फैलता है, जो बिलकुल गलत है। यह बीमारी छुआछूत की नहीं है। इसको लेकर समाज में कई भ्रम हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है।
इन कारणों से नहीं फैलता एड्स
घर या ऑफिस में साथ रहने से
हाथ मिलाने से
कमोड, फोन या किसी के कपड़े से
मच्छर के काटने से