संजीव कुमार बालियान पहले जब हमारे पास ना तो यातायात के साधन थे ना ही ध्वनि विस्तारक यन्त्र ना ही प्रेस ना ही सोशल मीडिया जैसे शक्तिशाली प्लेटफार्म थे। उन दिनो जनता को एक दिशा में सोचने,कुछ करने या संगठित करने के लिये उपयुक्त साधन भी नहीं थे। …
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