भारत में कोरोना के आंकड़े डरा रहे हैं. बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 42,015 नए मामले सामने आये हैं. वहीं इन आंकड़ों के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 3,12,16,337 हो चुकी है. इधर इसी दौरान 3,998 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 4,18,480 हो गई है.
मंत्रालय के अनुसार 36,977 नए डिस्चार्ज के बाद कुल डिस्चार्ज की संख्या 3,03,90,687 हो चुकी है. अब देश में सक्रिय मामलों की कुल संख्या 4,07,170 है. इधर देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस की 34,25,446 वैक्सीन लगाई गई है, जिसके बाद कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा 41,54,72,455 पर पहुंच चुका है.
इसी बीच भारत में जनवरी 2020 और जून 2021 के बीच, डेढ़ साल के दौरान लगभग 50 लाख लोगों की कोरोना से मौत हुई. यह गणना पेश की गयी है एक अमेरिकी अध्ययन की रिपोर्ट में. भारत के विभाजन के बाद यह किसी त्रासदी में मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है. वाशिंगटन के सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए सीरोलॉजिकल अध्ययनों, घर-घर जाकर किये गये सर्वेक्षणों, नगर निकायों के आधिकारिक आंकड़ों और अंतरराष्ट्रीय आकलनों का इस्तेमाल किया है.
चार लाख के सरकारी आंकड़े से कई गुना ज्यादा मौंतें कोविड से हुई : वाशिंगटन के सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट द्वारा मंगलवार को जारी हुई रिपोर्ट की मानें, तो चार लाख के सरकारी आंकड़े से कई गुना ज्यादा मौंतें कोविड से हुई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सात राज्यों के नगर निकायों में हुए मृत्यु पंजीकरण से ही निष्कर्ष निकालें, तो 34 लाख से ज्यादा मौतें कोविड से हुई हैं. एक अन्य गणना में उम्र आधारित इंफेक्शन फैटेलिटी रेट (आइएफआर) का इस्तेमाल किया गया. इस हिसाब से 40 लाख के आसपास लोगों की मौत हुई. रिपोर्ट में तीसरी गणना कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे पर आधारित है. इस सर्वे में सभी राज्यों से आठ लाख व्यक्तियों को शामिल किया गया. इससे जो अनुमान निकल कर आया है, वह 49 लाख से ज्यादा मौतों का है.
इन्होंने तैयार की रिपोर्ट : इस रिपोर्ट को तैयार करनेवालों में कई जानी-मानी शख्सीयत हैं. इसमें भारत सरकार के पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम भी हैं. उनके अलावा अभिषेक आनंद, जस्टिन सैंडेफर का नाम है. रिपोर्ट में पहली लहर के दौरान त्रासदी के आकार को समझ पाने में सरकार को नाकाम बताया गया है. कहा गया है कि पहली लहर भी उससे कहीं ज्यादा घातक थी जितनी कि समझी जाती है. अकेले पहली लहर में 20 लाख के करीब लोग मारे गये. रिपोर्ट में कोविड टीके को काफी प्रभावी बताया गया है. इसके मुताबिक, कोविड से 99 फीसदी मौतें उन लोगों की हईं, जिन्हें टीका नहीं लगा था.