अमर सिंह से नाराजगी के कारण आजम खां समाजवादी पार्टी को भी छोड़ चुके थे

समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य आजम खां के खिलाफ वर्ष 2017 में पहला केस दर्ज किया गया था अब तक उनके ऊपर 93 आपराधिक केस दर्ज हैं। 2019 में आजम खां ने भाजपा की जयाप्रदा को हराया था।

तुनकमिजाज के साथ ही बेहद जिद्दी स्वाभाव के आजम खां  की गिनती समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेताओं में होती है। वह अपनी पसंद तथा नापसंद को लेकर किसी से भी नाराज हो जाते हैं और अमर सिंह से नाराजगी के कारण एक बार तो समाजवादी पार्टी को भी छोड़ चुके हैं।

अभद्र भाषा के प्रयोग के मामले में तीन वर्ष कैद तथा जुर्माना की सजा होने के बाद रामपुर सदर से विधायक आजम खां की विधान सभा सदस्यस्ता भी चली गई है। रामपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने गुरुवार को खां को 2019 के अभद्र भाषा के मामले में दोषी ठहराया था और उसे तीन साल कैद की सजा सुनाई है।समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य आजम खां ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में पहले तो जयाप्रदा  का रामपुर के लोकसभा चुनाव में समर्थन किया। उन्होंने जयाप्रदा को अपनी बहन तक बताया, लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह से रिश्ते बिगडऩे के बाद उन्होंने ना सिर्फ समाजवादी पार्टी को छोड़ दिया, बल्कि जयाप्रदा के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग भी किया।

सपा के महासचिव पद से दिया था इस्तीफा

आजम खां को समाजवादी पार्टी ने लगातार सम्मान दिया। उनको पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया, लेकिन अमर सिंह से रिश्ते खराब होते ही आजम खां ने 17 मई 2009 को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था।

रामपुर में जयाप्रदा का किया था विरोध

पार्टी का बड़ा ओहदा छोड़ने के बाद आजम खां ने 15वीं लोकसभा के चुनाव के दौरान जयाप्रदा का रामपुर में खुलकर विरोध किया। जयाप्रदा के चुनाव हारने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उनको बुलाया, लेकिन आजम खां नहीं आए।

कल्याण सिंह के मुलायम सिंह यादव से हाथ मिलाने से भी नाराज

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भी भाजपा से नाराजगी के बाद अपनी पार्टी का गठन किया। कुछ समय बाद कल्याण सिंह  ने मुलायम सिंह यादव से हाथ मिलाया तो यह आजम खां को काफी नागवार गुजरा। आजम खां ने इस दौरान जब काफी विरोध किया तो फिर मुलायम सिंह यादव भी कठोर हो गए।

आजम खां समाजवादी पार्टी के छह वर्ष के लिए निष्कासित

समाजवादी पार्टी के खिलाफ लगातार बयान देने और जयाप्रदा का रामपुर में विरोध करने पर विवाद काफी बढ़ा तो पार्टी में संकट पैदा होते देख मुलायम सिंह यादव ने आजम खां को 24 मई 2009 को छह साल के लिए निष्कासित किया। इसके बाद में तत्कालीन सपा प्रमुख ने बताया था कि आजम खां ने खुद ही पार्टी छोड़ी है।

करीब डेढ़ साल बाद वापसी

समाजवादी पार्टी से बाहर होने के बाद आजम खां ने मुरादाबाद मंडल और बरेली मंडल में पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम प्रारंभ किया। इसी दौरान करीब डेढ़ वर्ष बाद समाजवादी पार्टी ने उनका निष्कासन रद किया। आजम खां चार दिसंबर 2010 को फिर से समाजवादी पार्टी शामिल हो गए।

आजम खां के खिलाफ भ्रष्टाचार और चोरी समेत 93 केस दर्ज

उत्तर प्रदेश विधानसभा के वरिष्ठतम सदस्य आजम खां ने 2022 विधानसभा चुनाव में रामपुर सदर विधानसभा सीट से रिकार्ड 10वीं बार जीत हासिल की थी। 74 वर्षीय आजम खां ने इसके बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। आजम खां ने लोकसभा चुनाव 2019 में रामपुर से जीत दर्ज की थी। आजम खां ने भाजपा की जयाप्रदा को हराया था।  आजम खां ने भाजपा की जयाप्रदा को हराया था। आजम खां के खिलाफ वर्ष 2017 में पहला केस दर्ज किया गया था, अब तक उनके ऊपर 93 आपराधिक केस दर्ज हैं।

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