क्या आप जानते हैं कि नया साल पहले मार्च से शुरू होता था जिसे बाद में बदलकर जनवरी किया गया..

साल के आखिरी दिन के साथ ही लोगों ने 2022 को अलविदा कह दिया और नई उम्मीदों के साथ नए साल का स्वागत किया। लोगों के बीच नए साल को लेकर एक अलग ही उत्साह और जोश देखने को मिलता है। हर कोई खास अंदाज में इस खास मौके को सेलिब्रेट करना चाहता है। लोग अलग-अलग तरीके से इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। 31 दिसंबर की रात से शुरू होने वाला नए साल का जश्न कई दिनों तक चलता रहता है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो नए और अच्छे कामों की शुरुआत करने के लिए एक जनवरी का इंतजार करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नया साल हमेशा से ही एक जनवरी को नहीं मनाया जाता था। कई वर्ष पहले नया साल मार्च के महीने से शुरू होता था। लेकिन फिर कैलेंडर में हुए बदलाव के बाद 1 जनवरी से नया साल मनाया जाने लगा। जल्द ही हम सब इस साल को विदा करते हुए नए साल का स्वागत करेंगे। तो इससे पहले जानते हैं नए साल के दिलचस्प इतिहास के बारे में-

पहले मार्च से शुरू होता था नया साल

ऐसा नहीं है कि नया साल हमेशा से ही 1 जनवरी से शुरू हुआ होता था। 1 जनवरी से नया साल मनाने की शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई थी। इस सिलसिले में सबसे पहले रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में जरूरी बदलाव किए थे और कैलेंडर में जनवरी को साल का पहला महीना माना था। इससे पहले मार्च महीने से साल की शुरुआत होती थी। पहले बने इस कैलेंडर में मार्च साल का पहला महीना माना जाता था। इस कैलेंडर के मुताबिक साल में सिर्फ 10 महीने ही होते थे। इसकी वजह से उस समय एक साल में 310 दिन होते थे और एक हफ्ता 8 दिनों का होता था।

जूलियस सीजर ने की जनवरी से नए साल की शुरुआत

कहा जाता है कि रोमन शासक जूलियस सीजर ने एक जनवरी से नए साल की शुरुआत की थी। दरअसल, जूलियस सीजर को खगोलविदों से मुलाकात करने के बाद यह पता चला कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा लगाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 310 की जगह साल में 365 दिन किए और इसी आधार पर जूलियस कैलेंडर में साल में 12 महीने किए।

1582 में बना नया कैलेंडर

हालांकि, साल 1582 में पोप ग्रेगरी को जूलियस कैलेंडर में लीप ईयर को लेकर गलती मिली। उस समय मशहूर धर्म गुरू सेंट बीड ने यह बताया कि एक साल 365 दिन 6 घंटे नहीं, बल्कि 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। बाद में इस बात को ध्यान में रखते हुए रोमन कैलेंडर में बदलाव करते हुए एक नया कैलेंडर ग्रेगेरियन कैलेंडर बनाया गया और तभी से हर साल 1 जनवरी से नए साल को मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

कैसे हुई न्यू ईयर रेजोल्यूशन की शुरुआत

नया साल आते ही लोग खुद से कई वादे करते हैं। न्यू ईयर पर रेजोल्यूशन का चलन 5000 साल पुराना है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत मेसोपोटामिया के बेबिलोनियाई सभ्यता के दौरान हुई थी, जब नए साल के मौके पर वहां 12 दिन का त्योहार मनाया जाता था। इस मौके पर बेबीलोन शहर के लोग एक-दूसरे से वादा करते थे। इसके तहत वह अपना राजा से वादा करते थे कि वह उन्हें समय पर कर्ज चुकाएंगे और अपने पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते बनाने और खेती से जुड़े औजारों को वापस करने का वादा करते थे। इसके अलावा प्राचीन रोम में भी नए साल पर लोग भगवान की आराधना कर उनसे अपनी जिंदगी बेहतर बनाने का वादा करते थे। वहीं, चीन में रेजोल्यूशन को गुड लक माना जाता था। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रेजोल्यूशन का चलन आज से नहीं, बल्कि कई साल पहले से चला आ रहा है।

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