जानिए पुरुषों को होने वाली मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं और इसके समाधान के बारे में..

अक्सर अपनी भावनाएं व्यक्त न करने वाले पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं देखने को मिलती हैं। इंटरनेशनल मेंस डे के मौके पर जानते हैं पुरुषों को होने वाली मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं और इसके समाधान के बारे में।

 पुरुषों को अक्सर बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि वह रो नहीं सकते। अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर सकते और किसी को अपना दुख नहीं दिखा सकते। हम सभी ने हमेशा से सुना है कि मर्द को दर्द नहीं होता, लेकिन क्या इस बात में असल में कोई सच्चाई है। रिपोर्ट्स की मानें तो मर्द को भी दर्द होता है और पुरुष को रोना भी आता है, लेकिन इस बात को ना पुरुष ठीक से व्यक्त कर पाते हैं और न ही समाज में लोग पुरुषों को इस तरह स्वीकार करते हैं। यही वजह है कि दुनियाभर में पुरुष भी मानसिक तनाव से ग्रसित होते हैं।

जिम्मेदारियों और परिवार की जरूरतों के नीचे दबे पुरुष अक्सर खुद पर ध्यान नहीं देते हैं। इसी वजह से वह अपने जीवन में होने वाली छोटी-मोटी दिक्कतों या परेशानियों को किसी के साथ साझा नहीं करते, जो बाद में मानसिक तनाव का रूप ले लेती है। दुनियाभर में कई पुरुष प्रोस्टेट कैंसर, टेस्टीकुलर कैंसर और मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं। इतना ही नहीं पुरुषों में आत्महत्या के मामले भी महिलाओं की तुलना में ज्यादा देखने को मिलते हैं।

अमेरिकन साइक्लोजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 30.6 फीसदी लोग अपने जीवनकाल में कभी न कभी अवसाद यानी डिप्रेशन से ग्रसित होते हैं। लेकिन इसके बाद भी पुरुष अपनी समस्या के लिए किसी भी तरह की मदद या मेडिकल ट्रीटमेंट लेने से कतराते हैं। उनका यही बर्ताव उनकी इस समस्या को और भी ज्यादा गंभीर बना देता है। वहीं, ऐसे पुरुष जो अपनी भावनाएं बिना किसी डर के व्यक्त कर पाते हैं, उन्हें मानसिक तनाव से उभरने में काफी मदद मिलती है। ऐसे में यह बहुत जरूरी हैं कि पुरुषों से उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुलकर बात की जाए।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक अलग-अलग पुरुषों में डिप्रेशन के अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं। अवसाद में रहने वाला हर पुरुष एक जैसे लक्षण नहीं दिखाता है। कुछ में जहां थोड़े लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो वहीं कुछ में काफी ज्यादा नजर आते हैं। कुछ आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं-

  • गुस्सा, चिड़चिड़ापन या आक्रामकता
  • चिंता, बेचैनी या अकेला महसूस करना
  • काम, परिवार या किसी आनंददायक गतिविधियों में रुचि न दिखाना
  • यौन इच्छा और प्रदर्शन में कमी आना
  • उदास या निराश महसूस करना
  • ध्यान केंद्रित करने या कुछ याद रखने में समस्या होना
  • बहुत ज्यादा थकान महसूस होना, नींद न आना या बहुत ज्यादा नींद आना
  • जरूरत से ज्यादा खाना या बिल्कुल भी खाने की इच्छा न होना
  • आत्महत्या के विचार या आत्महत्या के प्रयास
  • शरीर में दर्द, सिरदर्द, ऐंठन या पाचन संबंधी समस्याएं
  • शराब या ड्रग्स की आदत

पुरुषों में डिप्रेशन के कारण

जेनेटिक फैक्टर- जिन पुरुषों के परिवार या उनके सदस्यों में डिप्रेशन का कोई इतिहास रहा हो, ऐसे में पुरुषों को अवसाद की समस्या होने की अधिक संभावनाएं होती हैं।

पर्यावरणीय तनाव- वित्तीय समस्याएं, किसी करीबी को खोना, रिश्तों में दिक्कतें, जीवन में प्रमुख परिवर्तन, काम की समस्याएं या कोई तनावपूर्ण स्थिति कुछ पुरुषों में अवसाद को ट्रिगर कर सकती है।

बीमारी- अवसाद अन्य गंभीर चिकित्सीय बीमारियों जैसे मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग या पार्किंसंस रोग के साथ हो सकता है। अवसाद इन स्थितियों को बदतर बना सकता है। कभी-कभी, इन बीमारियों के लिए ली जाने वाली दवाइओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जो अवसाद को ट्रिगर या खराब कर सकते हैं।

अवसाद से जूझ रहे पुरुषों की ऐसे करें मदद

  • पुरुष अक्सर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं करते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि आप उनमें इन लक्षणों की पहचान कर उन्हें डॉक्टर से मिलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • एंटीडिप्रेसेंट नामक दवाएं अवसाद का इलाज करने के लिए अच्छी तरह से काम कर सकती हैं, लेकिन उन्हें प्रभावी होने में कई हफ्ते लग सकते हैं।
  • कई प्रकार की मनोचिकित्सा या “टॉक थेरेपी” अवसाद का इलाज करने में मदद कर सकती हैं। कुछ अवसाद के लिए यह उपचार दवाओं के समान ही प्रभावी होते हैं।
  • कभी भी आत्महत्या के बारे में टिप्पणियों को नजरअंदाज न करें और अपने चिकित्सक को इस बारे में सतर्क करें।
  • अगर आपका कोई करीबी पुरुष अवसाद से जूझ रहा है तो उसे समझे, धैर्य रखें और उन्हें प्रोत्साहित करते हुए यह बताएं कि समय और उपचार के साथ अवसाद दूर हो जाएगा।

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