बरेली: 630 करोड़ रुपये का तमाशा बनकर रह गया रामगंगा बैराज

वर्ष 2011 में शुरू हुई रामगंगा बैराज परियोजना के तहत रामगंगा नदी पर बैराज और 469 किलोमीटर नहरें बननी थीं, लेकिन 14 साल के बाद भी यह परियोजना अधूरी पड़ी है। जबकि साल दर साल इसका बजट बढ़ता गया है।

बरेली में 14 साल पहले शुरू हुआ रामगंगा बैराज प्रोजेक्ट 630 करोड़ रुपये का तमाशा बनकर रह गया है। 332 करोड़ रुपये में पूरी होने वाली यह परियोजना 630 करोड़ खर्च के बाद भी अधूरी है। साल दर साल इसका बजट बढ़ता गया, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा।

तीन साल पहले इस परियोजना को पूरा करने के लिए 2,100 करोड़ रुपये चाहिए थे। अब यह बजट बढ़कर 3,289 करोड़ रुपये हो गया है। सरकार ने पांच साल में बजट के नाम पर इस परियोजना के लिए एक रुपया भी नहीं दिया। अब यह प्रोजेक्ट शोपीस बना खड़ा है।

वर्ष 2011 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत रामगंगा नदी पर बैराज और 469 किलोमीटर नहरें बननी थीं। इससे बदायूं के दातागंज क्षेत्र की ओर भी खेतों की प्यास बुझती। वर्ष 2014 से 2018-19 तक इस परियोजना पर काम हुआ। इस दौरान बैराज का 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया, लेकिन यह जहां खत्म होता है, वहां बंधा व अन्य कार्य होने बाकी है।

100 किमी नहरें बन चुकी हैं, लेकिन अभी 350 किमी से ज्यादा नहरों का निर्माण बाकी है। इसके लिए जमीन का अधिग्रहण होना है। समय के साथ परियोजना का बजट भी बढ़ता गया। बजट के अभाव में वर्ष 2019 से काम ठप पड़ा है। अब वर्ष 2024 में एक बार फिर 3,289.89 करोड़ का पुनरीक्षित बजट बनाकर भेजा गया है। बाढ़ खंड द्वारा वर्ष 2019 से लगातार बजट की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं दिया।

नहरों के लिए चाहिए 1029 हेक्टेयर जमीन व 1400 करोड़ रुपये
परियोजना के तहत नहरों के लिए 1029 हेक्टेयर जमीन चाहिए। जमीन के अधिग्रहण के लिए ही करीब 1400 करोड़ रुपये चाहिए। इसके अलावा नहरों को बनाने में भी करोड़ों रुपये खर्च होंगे। बैराज का अधूरा काम भी पूरा होना है। अधिकारियों का कहना है कि 31 मार्च को उम्मीद थी कि कुछ बजट आ जाएगा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी।

37 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए बनी थी परियोजना
बदायूं का दातागंज क्षेत्र डार्क जोन में आता है। फसलों की सिंचाई के लिए यहां संकट खड़ा हो जाता है। क्षेत्र को डार्क जोन से निकालने के लिए व आस-पास के 37 हजार हेक्टेयर खेतों की सिंचाई के लिए यह परियोजना बनाई गई थी। करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी स्थिति जस की तस है।

समय-समय पर लगते रहे भ्रष्टाचार के दाग
भाजपा सरकार ने पिछले पांच वर्षों में परियोजना के लिए कोई बजट जारी नहीं किया। इसके पीछे भ्रष्टाचार वजह बताई जा रही है। पिछली सरकार में बैराज बनाने के नाम पर खूब भ्रष्टाचार हुआ। बजट न देने के पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है। सरकार ने अगर इस मामले की जांच करा ली तो शुरू से अब तक इस परियोजना से जुड़े अफसरों के सामने मुसीबत खड़ी हो सकती है।

बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता नरेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2019 से बैराज का काम रुका हुआ है। इसके लिए करीब 3,289 करोड़ का बजट चाहिए। हर साल जमीन के दाम बढ़ते हैं, इसलिए बजट भी बढ़ रहा है।

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